शेतकारी संघटना के वरिष्ठ नेता विजय जावंधिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिख कर प्याज पर 40 फीसदी निर्यात शुल्क लगाने के फैसले को वापस लेने की मांग की है। उन्होंने अपने पत्र में प्रधानमंत्री को याद दिलाया है कि 2010-11 में जब तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने कपास निर्यात पर पाबंदी लगाई थी तो आपने गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर इस फैसले का विरोध करते हुए सवाल उठाया था कि क्या केंद्र सरकार को किसानों की चिंता नहीं है? बतौर प्रधानमंत्री अब आपने गेहूं, चावल का निर्यात बंद कर दिया है और प्याज के निर्यात पर 40 फीसदी शुल्क लगा दिया है, क्या दिल्ली का सिंहासन किसान विरोधी है?
विजय जावंधिया ने अपने पत्र में लिखा है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं के दाम बढ़ने लगे तो आपने गेहूं का निर्यात बंद कर दिया, चावल के दाम बढ़ने लगे तो चावल का निर्यात बंद कर दिया। टमाटर के दाम बढ़े तो नेपाल से टमाटर आयात कर लिया। अब प्याज के दाम बढ़ रहे हैं और निर्यात भी बढ़ रहा है तो आपने निर्यात पर 40 फीसदी शुल्क लगा दिया।
पत्र में उन्होंने लिखा है कि जब आप गुजरात के मुख्यमंत्री थे और 2010 में डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार ने कपास निर्यात पर 2500 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी में 356 किलो) का शुल्क लगाया था। उसके बाद 2011-12 में 85 लाख गांठ कपास का निर्यात करने के बाद घरेलू बाजार में दाम 3900 रुपये प्रति क्विंटल के एमएसपी से बढ़कर 6000-7000 रुपये प्रति क्विंटल हो गए थे तो सरकार ने निर्यात बंद कर दिया था। तब आपने इसका विरोध करते हुए तत्कालीन केंद्र सरकार से सवाल किया था- “केंद्र सरकार को राज्य के किसानों के अधिकार की चिंता नहीं है क्या? यह गुजरात के किसानों के साथ यूपीए सरकार का षडयंत्र है।”
जावंधिया ने लिखा है कि आज आप प्याज पर 40 फीसदी निर्यात शुल्क के जरिये इसका निर्यात रोक कर दाम नियंत्रित करना चाहते हैं। अगर किसानों को अच्छा दाम मिल रहा है तो मिलने दीजिए। उन्होंने प्रधानमंत्री से मांग की है कि निर्यात शुल्क वापस लेकर सरकार बाजार से प्याज की खरीदी करे। उन्होंने लिखा है- “मुझे ऐसा महसूस हो रहा है कि शायद दिल्ली का सिंहासन ही किसान विरोधी है। आपसे विनती है कि इस धारणा को बदलिए।”