खाद्य तेलों के दाम में तेज बढ़ोतरी के बीच उद्योग संगठन सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) ने अपने सदस्यों से तेल का अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) ना बढ़ाने का आग्रह किया है। एसोसिएशन के प्रेसिडेंट अतुल चतुर्वेदी ने सभी सदस्यों को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि देश में खाद्य तेलों की कीमत काफी बढ़ गई है तथा रूस यूक्रेन-युद्ध के चलते स्थिति और खराब हुई है।
चतुर्वेदी के अनुसार खाद्य तेलों के ऊंचे दाम के पीछे मुख्य वजह महंगा आयात होना है, फिर भी अधिकारियों को लगता है कि व्यापारियों द्वारा तिलहन और खाद्य तेलों की जमाखोरी भी दाम बढ़ने की एक वजह है। हालांकि हमारा ऐसा मानना नहीं है। उन्होंने सभी सदस्यों से स्टॉक लिमिट का सख्ती से पालन करने का आग्रह किया।
उन्होंने सदस्यों से सप्लाई चेन व्यवस्था को दुरुस्त रखने का भी आग्रह किया ताकि ग्राहकों को तेल मिलने में किसी तरह की परेशानी ना हो। भारत अपनी जरूरत का लगभग 60 फ़ीसदी खाद्य तेल आयात करता है। दाम नियंत्रित करने के लिए सरकार ने आयात शुल्क घटाने के अलावा स्टॉक होल्डिंग लिमिट कम की है।
एसोसिएशन के इस बयान से एक दिन पहले खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने कहा कि खाद्य तेलों और तिलहन की जमाखोरी और कालाबाजारी रोकने के लिए सरकार ने जगह-जगह जांच अभियान शुरू किया है। उन्होंने बताया कि यह कार्रवाई 1 अप्रैल से शुरू की गई है। पहले उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्यों में यह अभियान चल रहा है। आने वाले दिनों में यह अभियान और तेज किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के अधिकारी राज्यों के साथ लगातार बैठकें कर रहे हैं ताकि थोक स्तर पर जो एमआरपी तय होता है रिटेलर उससे अधिक कीमत पर ना बेचें। इसी के बाद सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ने अपने सदस्यों से एमआरपी ना बढ़ाने का आग्रह किया है। सनफ्लावर ऑयल के बारे में सचिव ने कहा कि रूस और यूक्रेन इसके बड़े सप्लायर हैं। व्यापारी दूसरे स्रोतों से इसे खरीदने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन अन्य स्रोतों से कम मात्रा में ही सनफ्लावर ऑयल मिल सकेगा।