नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने बजाज हिंदुस्तान शुगर के खिलाफ भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) द्वारा दायर याचिका खारिज कर दी है। यह मामला बजाज शुगर द्वारा लिए कर्ज से जुड़ा था जिसका भुगतान कंपनी कर चुकी है।
बजाज हिंदुस्तान शुगर पर बैंकों का लगभग 4,771 करोड़ रुपये बकाया था और उसने दो कर्ज-पुनर्गठन योजनाओं का लाभ उठाया था। एसबीआई का सबसे ज्यादा करीब 1,192 करोड़ रुपये बकाया था। मामले को एनसीएलटी में ले जाने से पहले बैंकों ने बजाज हिंदुस्तान शुगर के कर्ज को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) घोषित कर दिया था।
बजाज समूह के प्रवक्ता और ग्रुप प्रेसीडेंट एवं चीफ कम्युनिकेशंस ऑफिसर नीरज जा ने इस पर प्रतिकिया देते हुए कहा, यह हमारे लिए अत्यंत सुखद अनुभूति है। इसके लिए हम सभी का आभार व्यक्त करते हैं क्योंकि कंपनी के कठिन समय और विपरीत परिस्थितियों में सबने हमारा बखूबी साथ निभाया। उस समय हमारा सब कुछ दांव पर लगा था, लेकिन इस सबके बावजूद कंपनी की प्रतिष्ठा हमारे लिए सर्वोपरि रही। इस विशेष अवसर पर हम सभी कर्जदाताओं और हितधारकों को हम पर अटूट विश्वास रखने के लिए दिल से धन्यवाद देते हैं।
उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि यह फैसला हमारे सभी हितधारकों के लिए भी फायदेमंद साबित होगा, जिसमें हमारे कर्जदाता, सरकारें और उनकी एजेंसियां, हमारे कर्मचारी, हितधारक और निवेशक तथा सबसे महत्वपूर्ण हमसे जुड़े लाखों गन्ना किसान शामिल हैं।
बजाज हिंदुस्तान शुगर लिमिटेड चीनी एवं एथेनॉल उद्योग की बड़ी कंपनी है। कंपनी उत्तर प्रदेश में 14 चीनी मिलों का संचालन करती है।