किसानों और मजदूरों के हितों के खिलाफ केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध में बुधवार को नई दिल्ली के रामलीला मैदान में किसानों और मजदूरों ने अपनी मांगों को लेकर बड़ी रैली की। रैली को संबोधित करते हुए किसान और मजदूर संगठनों के नेताओं ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार लगातार आम जनता की बुनियादी जरूरतों की उपेक्षा करते हुए बड़े कॉरपोरेट के हितों के लिए काम कर रही है। उन्होंने किसानों, मजदूरों की आजीविका के साधनों पर हो रहे हमलों के खिलाफ कदम उठाने की मांग करते हुए शिक्षा, स्वास्थ्य व आम आदमी के हितों की नीतियां बनाकर एक सम्मानजनक जीवन की मांग की। रैली में वक्ताओं ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गई तो आगे भी संघर्ष जारी रहेगा।
किसानों और मजदूरों के विभिन्न संगठनों के नेताओं ने मजदूर-किसान संघर्ष रैली को संबोधित करते हुए सरकार को चेतावनी दी कि यह रैली इस देश की मेहनतकश जनता के बढ़ते गुस्से का संकेत है। उन्होंने कहा कि संसाधनों का जानबूझकर विनाश, दशकों से विकसित बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठानों को निजी क्षेत्र को औने-पौने दामों पर बेचना, मजदूरों और किसानों को उनके मूल अधिकारों से वंचित करना, भारतीय कृषि और डेयरी क्षेत्र पर कब्जा करने के लिए विदेशी पूंजी को आमंत्रित करने जैसे काम हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा भाजपा सरकार द्वारा तेजी से इस तरह की नीतियों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस तरह के खतरों के खिलाफ और देश को बचाने के लिए मजदूरों और किसानों ने पूरे देश में निरंतर और तेज आंदोलन शुरू करने के लिए हाथ मिलाया है।
जानेमाने अर्थशास्त्री प्रभात पटनायक की अध्यक्षता में एक संयुक्त तैयारी समिति द्वारा इस मजदूर-किसान संघर्ष रैली का आयोजन किया गया था। सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू), अखिल भारतीय किसान सभा और अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन द्वारा बुलाई गई इस संघर्ष रैली में देश के अलग-अलग राज्यों से आए हजारों किसानों ने हिस्सा लिया। रैली में महिलाओं की भी बड़ी भागीदारी रही। मजदूर-किसान संघर्ष रैली को सीटू की अध्यक्ष हेमलता और महासचिव तपन सेन, अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष अशोक धावले और महासचिव विजू कृष्णन तथा अखिल भारतीय खेत मजदर यूनियन के अध्यक्ष ए. विजयराघवन और महासचिव बी. वेंकट ने संबोधित किया।