संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी), किसानों को पेंशन देने और एक व्यापक फसल बीमा योजना की कानूनी गारंटी की अपनी मांगों को लेकर 1-15 अगस्त तक देशभर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की है। विभिन्न किसान संगठनों के संयुक्त संगठन एसकेएम की रविवार को हुई बैठक में यह फैसला किया गया। इस बैठक में सदस्य संगठनों के 200 से अधिक किसान नेताओं ने भाग लिया।
संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि एमएसपी कानून, कर्ज से मुक्ति, किसान और खेतिहर मजदूरों की पेंशन, व्यापक फसल बीमा योजना, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा की गिरफ्तारी, किसानों पर झूठे मुकदमों की वापसी, शहीद किसान परिवारों को मुआवजा देने की प्रमुख मांगों को लेकर 26 मई से 31 मई तक देश के सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में धरना-प्रदर्शन किया जाएगा। इन प्रदर्शनों में सांसदों और प्रमुख राजनीतिक नेताओं के गृह निर्वाचन क्षेत्रों में बड़े विरोध मार्च निकलना और उन्हें किसानों की सभी मांगों को तुरंत हल करने की चेतावनी देते हुए ज्ञापन सौंपना शामिल होगा।
बयान में कहा गया है कि मई, जून और जुलाई में देशभर के किसानों और खेतिहरों को एकजुट करने के लिए प्रत्येक राज्य में प्रदेश, जिला और तहसील स्तर के सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे। 1-15 अगस्त तक बड़े पैमाने पर देशव्यापी प्रदर्शन किया जाएगा। सितंबर से मध्य नवंबर के बीच राष्ट्रव्यापी यात्राएं आयोजित की जाएंगी जिनका नेतृत्व एसकेएम के राष्ट्रीय नेता करेंगे। यह यात्रा विशेष रूप से उन राज्यों पर केंद्रित होगी जहां विधानसभा चुनाव होंगे, जैसे कि मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना आदि।
संयुक्त किसान मोर्चा ने 3 अक्टूबर को राष्ट्रव्यापी शहीदी दिवस मनाने का ऐलान किया है। वर्ष 2021 की इसी तारीख को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया थाना क्षेत्र में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा ने तीन कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों को अपनी गाड़ी से रौंद दिया था जिसमें 4 किसानों की मौके पर ही मौत हो गई थी और दर्जनों घायल हो गए थे। इस घटना के बाद भड़की हिंसा में 8 और लोगों की मौत हो गई थी।
एसकेएम ने फैसला किया है कि 26 नवंबर को सभी राज्यों की राजधानियों में कम से कम 3 दिनों तक दिन-रात धरना देकर राष्ट्रव्यापी विजय दिवस मनाया जाएगा। इसी दिन किसानों का ऐतिहासिक दिल्ली चलो मार्च दिल्ली की सीमाओं पर पहुंचा था।