वैश्विक कीमतों में रिकार्ड बढ़ोतरी की वजह से डीएपी की उपलब्धता के संकट के चलते कॉम्प्लेक्स उर्वरकों की बिक्री में भारी इजाफा हुआ है। चालू रबी सीजिन के अक्तूबर और नवंबर माह में इन उर्वरकों की बिक्री में करीब 50 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। डिपार्टमेंट ऑफ फर्टिलाइजर्स के आंकड़ों के मुताबिक अक्तूबर और नवंबर, 2021 के दो महीनों में कॉम्प्लेक्स उर्वरकों की बिक्री 27.7 लाख टन पर पहुंच गई जो पिछले साल के इन दो महीनों ने 18.48 लाख टन रही थी। रबी सीजन की प्रमुख फसलों गेहूं, सरसों और आलू के बुआई के समय किसान डाइ अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) और म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) का अधिक इस्तेमाल करते हैं लेकिन डीएपी की उपलब्धता को लेकर पैदा मुश्किलों के बीच किसानों ने सिंगल सुपर फॉस्फेट और एनपीके जैसे कॉम्प्लेक्स उर्वरकों का ज्यादा उपयोग किया है क्योंकि इनकी उपलब्धता बेहतर थी। हालांकि इन उर्वरकों के अधिक उपयोग होने वाले ग्रेड की कीमतों में कंपनियों ने बढ़ोतरी की है जो सब्सिडी बढ़ोतरी के बाद भी पिछले साल के मुकाबले महंगे हैं।
नाइट्रोजन(एन), फॉस्फोरस(पी),पोटाश (के) और सल्फर (एस) के विभिन्न ग्रेड वाले इन उर्वरकों के तीन ग्रेड पर सरकार ने 100 रुपये प्रति बैग की अतिरिक्त सब्सिडी घोषित की थी। कंपनियां पहले इनको 1085 से 1100 रुपये प्रति बैग पर बेच रही थी लेकिन अब इनकी कीमत 1470 रुपये प्रति बैग तक हो गई है। डीएपी की कीमत को 1200 रुपये प्रति बैग पर बरकार रखने के लिए कच्चे माल की ऊंची कीमत के चलते सरकार ने सब्सिडी में वृद्धि कर लागत वृद्धि कर भरपाई की है जिसके चलते किसानों के लिए डीएपी की कीमत 1200 रुपये प्रति बैग (50 किलो) पर ही रखी गई है। लेकिन देश के कई हिस्सों से अक्तूबर और नवंबर में डीएपी की उपलब्धता की किल्लत की खबरें आती रहीं।
वहीं इस बीच कॉम्प्लेक्स उर्वरकों की तरह ही सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी) की बिक्री अक्तबूर और नवंबर, 2021 में 15.78 लाख टन रही है जबकि पिछले साल इन दो महीनों में एसएसपी की बिक्री 9.5 लाख टन रही थी।
डिपार्टमेंट ऑफ फर्टिलाइजर्स के आंकड़ों के मुताबिक अक्तूबर और नवंबर, 2021 के दौरान डीएपी की बिक्री 28.76 लाख टन रही जो 2020 की इसी अवधि की 35.23 लाख टन की बिक्री से 18.4 फीसदी कम है। वहीं चालू साल में अक्तूबर और नवंबर में एमओपी की बिक्री 4.88 लाख टन रही है जो साल 2020 के इन दो महीनों की बिक्री 5.8 लाख टन से 15.9 फीसदी कम है।
अक्तूबर और नवंबर के दौरान यूरिया की बिक्री पिछले साल के मुकाबले 12.6 फीसदी बढ़कर 51.92 लाख टन पर पहुंच गई। हालांकि 2019 के इन दो महीनों के मुकाबले यह वृद्धि केवल 3.8 फीसदी है। 2019 के अक्तूबर और नवंबर में यूरिया की बिक्री 50.04 लाख टन रही थी।
उर्वरक उद्योग का कहना है कि कॉम्प्लेक्स उर्वरकों और एसएसपी की बिक्री का बढ़ना एक बेहतर संकेत है जो डीएपी पर निर्भरता को कम करेगा। जिसके रॉ मटीरियल रॉक फॉस्फेट और फॉस्फोरिक एसिड की कीमतों में पिछले एक साल में भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इस समय डीएपी की देश में आयातित कीमत 870 डॉलर प्रति टन है जबकि यूरिया की आयातित कीमत 1000 डॉलर प्रति टन और एमओपी की आयातित कीमत 450 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई है। पिछले साल डीएपी का आयातित कीमत 370 डॉलर प्रति टन, यूरिया की आयातित कीमत 280 डॉलर प्रति टन औ एमओपी आयातित कीमत 230 डॉलर प्रति टन पर थी।
देश में उर्वरकों की खपत के मामले में कॉम्प्लेक्स उर्वरकों की अधिक खपत दक्षिण और पश्चिमी राज्यों में होती है जबकि उत्तरी राज्यों में डीएपी और एमओपी की खपत अधिक होती रही है। लेकिन इस साल यह ट्रेंड बदल रहा है। उर्वरक उद्योग इसे एक बेहतर संकेत के रूप में देख रहा है। देश में पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में कुल 676.10 लाख टन उर्वरकों की खपत हुई थी। जिसमें 350.43 लाख टन यूरिया की खपत शामिल है। वहीं डीएपी की खपत 119.12 लाख टन और कॉम्प्लेक्स उर्वरकों की खपत 118.11 लाख टन रही थी। बाकी हिस्सेदारी में एसएसपी 44.89 लाख टन और एमओपी 34.25 लाख की बिक्री हुई थी। उद्योग सूत्रों का कहना है कि चालू साल में डीएपी की कुल बिक्री कम रहने की संभावना है।