केंद्र सरकार ने गैर-बासमती सुगंधित चावल की ग्रेडिंग के नियम जारी कर दिए हैं। इसके तहत पांच खास किस्मों के चावल की विशेषताओं और गुणवत्ता के मानक तय किए गये हैं। सरकार के इस कदम से गोबिंदभोग और काला नमक जैसे खास चावलों की खेती करने वाले किसानों को फायदा होगा। ये नियम गैर-सुगंधित बासमती चावल की ग्रेडिंग और मार्केटिंग में मददगार होंगे।
गत 31 जनवरी को कृषि मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार, गैर-बासमती सुगंधित चावल श्रेणीकरण और चिह्नांकन नियम, 2024 जारी किए गये हैं जो चावल की पांच किस्मों गोबिंदभोग, तुलाईपंजी, कटारिभोग, कालोनूनिया (काला नमक) और राधुनिपागल पर लागू होंगे। ये नियम कृषि उपज (ग्रेडिंग व मार्किंग) अधिनियम, 1937 के तहत जारी किए हैं।
ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया ने रूरल वॉयस को बताया कि गैर-बासमती सुगंधित चावल की ग्रेडिंग के नियम जारी होना अच्छी खबर है। इससे खास विशेषताओं पर गोबिंदभोग जैसे चावलों को पहचान मिलेगी। इंडस्ट्री की तरफ से गैर-सुगंधित चावलों की ग्रेडिंग के नियम जारी करने की मांग की जा रही थी। ग्रेडिंग के नियम ना होने से इन चावलों के व्यापार और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने में कई तरह की दिक्कतें आ रही थीं।
ग्रेडिंग नियमों के तहत गैर-बासमती सुगंधित चावल की न्यूनतम अपेक्षित विशेषताएं, ग्रेड और गुणवत्ता के मापदंड तय किए हैं। इससे उपभोक्ताओं को भी इनकी खूबियों का पता चलेगा और इनके व्यापार में मदद मिलेगी। साथ ही गैर-बासमती सुगंधित चावलों के नाम पर अन्य किस्मों चावलों की बिक्री पर भी रोक लग सकेगी।