खाद्य पदार्थों, खासकर टमाटर, आलू, प्याज सहित हरी सब्जियों की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से जून में खुदरा महंगाई की दर बढ़कर तीन महीने के उच्च स्तर 4.81 फीसदी पर पहुंच गई है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति मई में 4.31 फीसदी (4.25 फीसदी से संशोधित) और जून 2022 में 7 फीसदी थी। इससे पहले मार्च में महंगाई की दर 5.66 फीसदी थी।
हालांकि, मुद्रास्फीति रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अनुकूल स्तर 6 फीसदी से नीचे बनी हुई है। सरकार की ओर से जारी खुदरा महंगाई के आंकड़ों में बताया गया है कि जून की मुद्रास्फीति में खाद्य महंगाई मई के 2.96 फीसदी के मुकाबले करीब डेढ़ फीसदी बढ़कर 4.49 फीसदी पर पहुंच गई। सीपीआई में खाद्य महंगाई की हिस्सेदारी करीब आधी होती है। महंगाई में नरमी को देखते हुए पिछले महीने रिजर्व बैंक ने नीतिगत दरों को 6.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा था और चालू वित्त वर्ष 2023-24 में खुदरा मुद्रास्फीति औसतन 5.1 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था। जून तिमाही (अप्रैल-जून 2023) में मुद्रास्फीति 4.6 फीसदी रही थी।
इस बीच, देश का औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) मई में बढ़कर 5.2 फीसदी पर पहुंच गया है। सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल 2023 में औद्योगिक उत्पादन 4.5 फीसदी रहा था। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, मुख्य रूप से विनिर्माण और खनन क्षेत्रों के अच्छे प्रदर्शन के कारण औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि हुई है। मई 2022 में आईआईपी की दर 19.7 फीसदी थी जो मुख्य रूप से कम आधार प्रभाव के कारण थी। एक आधिकारिक बयान में बताया गया है कि मार्च 2020 के बाद से कोविड 19 महामारी के कारण असामान्य परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए पिछले वर्ष की इस अवधि की वृद्धि दर की व्याख्या की जानी चाहिए।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी आईआईपी आंकड़ों के अनुसार, मई 2023 में विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन 5.7 फीसदी बढ़ा, जबकि एक साल पहले इसमें 20.7 फीसदी की वृद्धि हुई थी। वित्त वर्ष 2023-24 की अप्रैल-मई अवधि के दौरान आईआईपी में वृद्धि 4.8 फीसदी रही जो एक साल पहले इसी अवधि में 12.9 फीसदी थी।