दिसंबर 2022 में खुदरा महंगाई दर (सीपीआई) साल के निचले स्तर पर पहुंच गई। सरकार द्वारा गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर, 2022 में खुदरा महंगाई दर 5.72 फीसदी रही जो साल का सबसे कम स्तर है। महंगाई में कमी की मुख्य वजह सब्जियों की कीमतों में गिरावट आना रहा है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में वृद्धि दर के छह फीसदी से नीचे आने के चलते भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी के जरिये महंगाई को छह फीसदी के उच्चतम स्तर से नीचे लाने में मिलती कामयाबी के चलते ब्याज दरों को लेकर रिजर्व बैंक रुख में नरमी आ सकती है।
महंगाई को काबू में लाने के लिए रिजर्व बैंक ने मई माह से नीतिगत ब्याज दरों में 2.25 फीसदी की बढ़ोतरी की है। इसके पहले नवंबर में खुदरा महंगाई दर छह फीसदी से नीचे 5.88 फीसदी पर आ गई थी। रिजर्व बैंक ने महंगाई के लिए चार फीसदी (दो फीसदी कम या ज्यादा) का लक्ष्य तय कर रखा है। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति कमेटी की अगली बैठक 6 से 8 फरवरी, 2023 को होगी।
नेशनल स्टेस्टिकल आफिस (एनएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर में खाद्य उत्पादों की महंगाई दर 4.19 फीसदी रही है जो नवंबर में 4,67 फीसदी के स्तर पर थी। पिछले साल दिसंबर, 2021 में खाद्य उत्पादों की महंगाई दर 4.05 फीसदी रही थी। सब्जियों के मामले में सालाना आधार पर 15 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। वहीं दिसंबर, 2022 में फलों की कीमतों में केवल दो फीसदी की मामूली वृद्धि हुई है। ऑयल और फैट्स व शुगर और कंफेक्शनरी उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी का स्तर बहुत मामूली रहा है।
जबकि दिसंबर माह में मसालों की कीमतों मेंं 20 फीसदी व खाद्यान्न कीमतों में 14 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। फ्यूएल और लाइट के सूचकांक में 11 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
इस बीच औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के मामले में स्थिति सुधरी है और यह नवंबर, 2022 में पांच माह के उच्चतम स्तर 7.1 फीसदी पर रहा। अक्तूबर में आईआईपी में 4.2 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी। एनएसओ के मुकाबिक नवंबर, 2022 में मैन्यूफैक्चरिंग की वृद्धि दर 6.1 फीसदी रही।
नवंबर, 2022 में खनन क्षेत्र की वृद्धि दर 9.7 फीसदी रही जो पिछले साल इसी मह में 4.9 फीसदी रही थी। बिजली उत्पादन में 12.7 फीसदी की वृद्धि हुई जो इसके एक माह पहले 2.1 फीसदी रही थी। कैपिटल गुड्स के उत्पादन में नवंबर में 20.7 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई जो औद्योगिक उत्पादन की बेहतरी का संकेत है। कंज्यूमर ड्यूरेबल में 5.1 फीसदी और नॉन कंज्यूमर डयूरेबल के उत्पादन में 8.9 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। प्राइमरी गुड्स के उत्पादन में 4.7 फीसदी और इंटरमीडिएट गुड्स के उत्पादन में तीन फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।