टमाटर सहित अन्य सब्जियों की कीमतें घटने की वजह से अगस्त में खुदरा महंगाई की दर घटकर 6.83 फीसदी पर पहुंच गई है लेकिन खाद्य महंगाई की दर अभी भी 10 फीसदी के करीब बनी हुई है। इससे पिछले महीने खुदरा महंगाई की दर 7.44 फीसदी थी, जबकि खाद्य महंगाई 11.51 फीसदी पर थी।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अगस्त में खाद्य महंगाई 9.94 फीसदी पर रही। अगस्त 2022 में खाद्य महंगाई की दर 7.62 फीसदी थी, जबकि उस समय खुदरा महंगाई 7 फीसदी थी। अनाजों की महंगाई इस साल अगस्त में दोहरे अंक में 11.85 फीसदी रही जो जुलाई में 13 फीसदी थी। दूध और दुग्ध उत्पादों की मुद्रास्फीति पिछले महीने के 8.34 फीसदी की तुलना में 7.73 फीसदी पर आ गई।
जुलाई में बारिश चलते टमाटर और अन्य सब्जियों की कीमतों में काफी उछाल आया था, खासकर टमाटर के दाम 250 रुपये प्रति किलो तक पहुंचने के चलते सब्जियों की महंगाई दर आश्चर्यजनक तौर पर बढ़कर 37.34 फीसदी पर पहुंच गई थी। अगस्त में यह घटकर 26.14 फीसदी पर आ गई है। खाद्य तेल और वसा की महंगाई दर पिछले महीने के 16.8 फीसदी से गिरकर 15.3 फीसदी पर आ गई है।
खाने-पीने की चीजों के दाम लगातार बढ़ने को देखते हुए सरकार ने अधिकांश खाद्य पदार्थों के व्यापार को विनियमित कर दिया है। चावल और गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, जबकि के निर्यात पर 40 फीसदी शुल्क लगाया है। इसी तरह, दालों के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दी है और अरहर एवं उड़द दाल पर स्टॉक लिमिट लगाने के साथ मसूर दाल के स्टॉक की साप्ताहिक जानकारी देना कारोबारियों के लिए अनिवार्य कर दिया गया है।
खाद्य वस्तुओं की कीमतें पिछले साल से सरकार के लिए एक प्रमुख चिंता का कारण रही है क्योंकि मौसम में अचानक परिवर्तन की स्थिति ने सब्जियों, दूध और अनाज के उत्पादन को नुकसान पहुंचाया है। विश्लेषकों को उम्मीद है कि सितंबर में मुद्रास्फीति और घटेगी जब खरीफ की नई फसलें बाजार में आएंगी। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 2023-24 के लिए खुदरा मुद्रास्फीति 5.4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है।
इस बीच, मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई में भारत का औद्योगिक उत्पादन 5.7 फीसदी की दर से बढ़ा गया है जो जुलाई 2022 में 2.2 फीसदी था।