महंगाई की ऊंची दर के दबाव में भारतीय रिजर्व बैंक की मानिटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) ने नीतिगत ब्याज दरों (रेपो रेट) में आधा फीसदी की बढ़ोतरी की घोषणा की है। इसके चलते रेपो रेट बढ़कर 5.40 फीसदी हो गई है। मई से अभी तक की तीन बढ़ोतरी के चलते रेपो रेट में 1.40 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है। रिजर्व बैंक के शुक्रवार के फैसले के चलते आवास और ऑटो कर्ज समेत तमाम तरह के कर्ज महंगे हो जाएंगे। लेकिन इसके चलते फिक्स्ड डिपाजिट धारकों को फायदा होगा क्योंकि फिक्स्ड डिपाजिट पर कमजोर ब्याज दरों का दौर समाप्त हो रहा है। रिजर्व बैंक द्वारा जारी रिजर्व बैंक गर्वनर के बयान में कहा गया है कि घरेलू और वैश्वविक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर यह फैसला लिया गया है रिजर्व बैंक ने चालूु वित्त वर्ष 2022-23 के लिए महंगाई दर के 6.7 फीसदी पर रहने का अनुमान लगाया है जो रिजर्व बैंक के लक्ष्य चार फीसदी, प्लस-माइनस दो फीसदी से अधिक है। रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 फीसदी पर ही बरकरार रखा है।
रिजर्व बैंक ने महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए मई में ब्याज दरों में बढ़ोतरी शुरू की थी और उस समय ब्याज दर 40 आधार अंकों की वृद्धि की थी। उसके बाद जून में 50 आधार अंकों की बढ़ोतरी की थी। आज की तीसरी बढ़ोतरी के चलते अभी तक ब्याज दरों में कुल 1.40 फीसदी की वृद्धि हो चुकी है। रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी के चलते आवास ऋण और ऑटो लोन जैसे तमाम कर्ज महंगे हो जाएंगे। वहीं लंबे समय तक कम ब्याज दरों के दायरे में रहने वाली सावधि जमाओं पर ब्याज दरें बढ़ जाएंगी। जून की मानिटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक के पहले तक जमाओं पर ब्याज दरें पांच फीसदी के आसपास ही चल रही थी। जबकि महंगाई दर सात फीसदी से अधिक चल रही थी। लेकिन लगातार रेपो दरों का बढ़ना जमाओं पर ब्याज दर और महंगाई दर के अंतर को कम करेगा। हो साकता है कि आने वाले दिनों में जमाओं पर ब्याज दरें सात फीसदी तक पहुंच जाएं।
रिजर्व बैंक ने कहा है कि महंगाई की दर उसके लक्ष्य से अधिक है। लेकिन इसके साथ ही विकास दर में वृद्धि के समर्थन की नीति जारी रहेगी। बैंक कहा है कि तरलता बेहतर स्तर पर बरकरार है। बैंकों के क्रेडिट ऑफटेक में 14 फीसदी की वृद्धि दर इकोनॉमी में निवेश की बढ़ती मांग का संकेत है। रिजर्व बैंक ने कहा है कि इसके साथ ही विदेशी मुद्रा भंडार बेहतर स्तर पर बना हुआ है जुलाई को छोड़कर मर्चेंडाइज निर्यात बेहतर रहे हैं। बैंक ने कहा है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था दबाव में है और इसका असर भारत जैसी इमर्जिंग इकोनॉमी पर भी पड़ा है। इन अर्थव्यवस्थाओं के मार्केट में उतार चढ़ाव अधिक रहा है साथ ही इन मार्केट्स से पूंजी बाहर जा रही है। डॉलर इंडेक्स के लगातार बढ़ने के चलते दूसरे देशों की मुद्रा कमजोर हुई है। लेकिन जहां तक भारत की अर्थव्यवस्था की बात है तो हम बेहतर स्थिति में हैं और हमारी विकास दर बेहतर रहने की संभावना है।
सामान्य मानसून के चलते कृषि अर्थव्यवस्था के बेहतर प्रदर्शन का फायदा अर्थव्यवस्था को मिलेगा। खरीफ की फसलों कवरेज क्षेत्रफल सुधर रहा है। लेकिन चावल का क्षेत्रफल कम रहने को लेकर चिंता जताई गई है। हालांकि रिजर्व बैंक ने कहा है कि केंद्रीय पूल में बेहतर चावल भंडार होने के चलते यह चिंता की बात नहीं है। खाद्य उत्पादों की कीमतें उच्च स्तर से नीचे आ रही हैं। दालों और खाद्य तेलों की कीमतें कम हुई हैं। चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में महंगाई दर के 5.8 फीसदी पर आने का अनुमान लगाया गया है।