एक तरफ देश के तिलहन किसान उपज के एमएसपी से वंचित हैं, वहीं पिछले दो महीनों में देश में सूरजमुखी तेल का रिकॉर्ड मात्रा में आयात हुआ। मार्च महीने में सूरजमुखी तेल का आयात 50 फीसदी बढ़कर 4.45 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। हालांकि, इस दौरान पाम ऑयल के आयात में 2.5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें अधिक होने के कारण पाम ऑयल का आयात घटा है, लेकिन दूसरी तरफ सूरजमुखी और सोयाबीन तेल का आयात बढ़ गया है। यह भारत के तिलहन किसानों के सामने एक नई चुनौती है।
खाद्य तेल उद्योग के संगठन सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के मुताबिक, चालू तेल वर्ष 2023-24 में (नवंबर से मार्च तक) देश में 57.65 लाख टन खाद्य तेलों का आयात हुआ, जो पिछले वर्ष इस अवधि में हुए 69.80 लाख टन आयात से 17.40 फीसदी कम है। लेकिन इस दौरान सूरजमुखी तेल का आयात 13.52 लाख टन तक पहुंचा गया जो पिछले साल 11.17 लाख था। इस तरह पांच महीनों में सूरजमुखी तेल का आयात 21 फीसदी बढ़ा है। चालू तेल वर्ष में पाम ऑयल का आयात 19.77 फीसदी घटकर 35.20 लाख टन रह गया।
एसईए के कार्यकारी निदेशक बी.वी. मेहता का कहना है कि इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे उत्पादक देशों में पाम ऑयल के कम उत्पादन और घटते स्टॉक के कारण ऊंची कीमतों के चलते भारतीय खरीदार पाम तेल की बजाय सूरजमुखी तेल को प्रमुखता दे रहे हैं। वैश्विक बाजार में पाम ऑयल सूरजमुखी तेल से करीब 70 डॉलर प्रति टन महंगा है।
50 फीसदी बढ़ा सूरजमुखी तेल का आयात
मार्च महीने में देश में खाद्य तेलों का कुल आयात फरवरी की तुलना में 18.82 फीसदी बढ़कर छह महीने के उच्चतम स्तर 11.49 लाख टन तक पहुंच गया है। इसके पीछे सूरजमुखी और सोयाबीन तेल के आयात में हुई बढ़ोतरी वजह है। मार्च में सूरजमुखी तेल का आयात 50 फीसदी बढ़कर रिकॉर्ड 4.45 लाख टन तक पहुंच गया। इससे पहले फरवरी में 2.97 लाख टन सूरजमुखी तेल का आयात हुआ था। यानी दो महीनों में 7.42 लाख टन सूरजमुखी तेल का आयात देश में हुआ। यह स्थिति तब है जबकि सरसों उगाने वाले देश के किसान एमएसपी से नीचे उपज बेचने को मजबूर हैं।
मार्च में करीब 4.85 लाख टन पाम ऑयल का आयात हुआ, जो फरवरी में हुए 4.97 लाख टन आयात से करीब 2.5 फीसदी कम है। इस तरह अब पाम और सूरजमुखी तेल के आयात के बीच कम ही अंतर रह गया है। सोयाबीन तेल का आयात मार्च में 26.4 फीसदी बढ़कर 2.18 लाख टन हो गया। खाद्य तेलों में आधे से अधिक आयात अब सूरजमुखी और सोयाबीन जैसे सॉफ्ट ऑयल का हो रहा है।
मध्य प्रदेश के किसान नेता केदार सिरोही का कहना है कि एक तरफ सरकार खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता की बात करती है जबकि दूसरी तरफ सूरजमुखी और सोयाबीन तेल का आयात बढ़ने की खबरें आ रही हैं। ऐसे में देश के तिलहन किसानों को सही भाव कैसे मिलेगा। सरकार का आत्मनिर्भरता का दावा भी खोखला साबित हुआ है। सरसों उगाने वाले किसानों को एमएसपी भी नहीं मिल पा रहा है।
खाद्य तेलों में आयात निर्भरता
इंडोनेशिया और मलेशिया में कमजोर उत्पादन के कारण पाम ऑयल के दाम पिछले कुछ सप्ताह से बढ़े हैं। इस समय क्रूड पाम ऑयल का दाम 1,045 डॉलर प्रति टन है, जबकि कच्चे सूरजमुखी तेल का दाम 975 डॉलर प्रति टन और कच्चे सोयाबीन तेल का दाम 1,025 डॉलर प्रति टन हैं। इसलिए पाम ऑयल के मुकाबले सूरजमुखी और सोयाबीन तेल का आयात बढ़ा है।
भारत दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य तेलों का आयातक है जो अपनी जरूरत का करीब 57 फीसदी आयात से पूरा करता है। भारत में पाम ऑयल इंडोनेशिया और मलेशिया से, सूरजमुखी तेल रूस और यूक्रेन से तथा सोयाबीन तेल अर्जेंटीना व ब्राजील से आयात होता है।
भारत सरकार ने खाद्य तेलों के लिए कम आयात शुल्क की व्यवस्था को मार्च, 2025 तक बढ़ा दिया है। सरकार के इस कदम से खाद्य तेल के आयात को बढ़ावा मिला है। जबकि तिलहन फसलें उगाने वाले किसानों को सही भाव नहीं मिल पा रहा है। बाजार में नई फसल आने के समय सरसों के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य से काफी नीचे गिर चुके हैं।