भारत में 2024-25 के मार्केटिंग वर्ष में 14.2 करोड़ टन चावल का रिकॉर्ड उत्पादन हो सकता है। अमेरिका के कृषि विभाग (USDA) ने अपने नवीनतम अनुमानों में यह जानकारी दी है। यह आंकड़ा पिछले महीने के पूर्वानुमान से 2 प्रतिशत और पिछले साल की तुलना में 3 प्रतिशत अधिक है। उत्पादन में यह वृद्धि मुख्य रूप से 4.9 करोड़ हेक्टेयर के रिकॉर्ड क्षेत्र में खेती पर आधारित है। यह रकबा भी 2023 की तुलना में 2 प्रतिशत और पिछले पांच वर्षों के औसत से 6 प्रतिशत अधिक है। अनुमानित उत्पादकता 4.35 टन प्रति हेक्टेयर है, जो पिछले साल की तुलना में एक प्रतिशत से थोड़ा कम और पांच साल के औसत से 4 प्रतिशत अधिक है।
USDA ने इस रिकॉर्ड उत्पादन का श्रेय रकबा वृद्धि के अलावा मौसम की अनुकूल परिस्थितियों को दिया है। अधिक संख्या में किसानों ने कपास की जगह चावल की खेती की ओर रुख किया है, क्योंकि चावल में उपज की संभावना अधिक होती है और कपास की तुलना में जोखिम भी कम होता है। 20 सितंबर 2024 तक भारत के कृषि मंत्रालय ने 4.13 करोड़ हेक्टेयर में धान की बुवाई दर्ज की थी। यह पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 2 प्रतिशत अधिक और पिछले पांच साल के औसत से लगभग 3 प्रतिशत अधिक है।
उपग्रह डेटा, विशेष रूप से नॉर्मलाइज्ड डिफरेंस वेजिटेशन इंडेक्स (NDVI) से उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा सहित गंगा के मैदानी इलाकों में फसल की अच्छी वृद्धि का संकेत मिलता है। इन इलाकों में धान की 30 प्रतिशत खेती होती है। अधिकांश किसानों ने जुलाई की अवधि के बाद धान की बुवाई की। USDA की वर्ल्ड एग्रीकल्चरल प्रोडक्शन रिपोर्ट के अनुसार देर से बोए गए धान को दक्षिण-पश्चिम मानसून की देर से वापसी और अगस्त और सितंबर के दौरान हुई अधिक वर्षा का लाभ मिला है।
भारत में चावल का उत्पादन तीन मौसमों में होता है- खरीफ, रबी और छोटी ग्रीष्मकालीन फसल। खरीफ की फसल का देश के कुल उत्पादन में 83 प्रतिशत हिस्सा रहता है। नवंबर की शुरुआत तक इसकी कटाई हो जाने की उम्मीद है। रबी की चावल का हिस्सा 10 प्रतिशत होता है। इसे नवंबर से जनवरी तक बोया जाएगा और अप्रैल के अंत में काटा जाएगा।