भारतीय रिजर्व बैंक ने नॉन-कोलैटरल यानी बिना रेहन वाले कृषि कर्ज की सीमा 1.6 लाख रुपये से बढ़ा कर दो लाख रुपये करने का निर्णय लिया है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को मौद्रिक नीति समीक्षा के दौरान यह जानकारी दी। कृषि कर्ज की यह सीमा प्रति किसान होती है। केंद्रीय बैंक जल्द ही इस घोषणा पर अमल के लिए एक सर्कुलर जारी करेगा।
किसानों के लिए नॉन-कोलैटरल कृषि कर्ज की सीमा वर्ष 2010 में एक लाख रुपये निर्धारित की गई थी। उसके बाद इसे वर्ष 2019 में संशोधित कर 1.6 लाख रुपये किया गया। अब, पांच साल बाद फिर इसमें संशोधन कर प्रति किसान दो लाख रुपये किया गया है। आरबीआई के अनुसार कृषि की सहयोगी गतिविधियों के लिए भी इस नॉन-कोलैटरल कर्ज की सीमा बढ़ाई गई है।
मौद्रिक नीति समीक्षा में आरबीआई गवर्नर ने कहा, “कृषि क्षेत्र में विकास को खरीफ फसलों के बेहतर उत्पादन, जलाशयों का उच्च जल स्तर और रबी की अच्छी बुवाई का समर्थन हासिल है। बिना जमानत वाले कृषि कर्ज की सीमा को आखिरी बार 2019 में संशोधित किया गया था। कृषि की लागत और महंगाई में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए बिना कोलैटरल वाले कृषि ऋण की सीमा को बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। यह फैसला छोटे और सीमांत किसानों के लिए कर्ज की उपलब्धता बढ़ाएगा।”
आरबीआई गवर्नर के अनुसार यह कदम छोटे और सीमांत किसानों को औपचारिक ऋण प्रणाली के तहत लाने की दिशा में भी मदद करेगा। गौरतलब है कि मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कृषि क्षेत्र ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है, जबकि मैन्युफैक्चरिंग और निर्यात जैसे क्षेत्रों का प्रदर्शन कमजोर रहा है। पहली तिमाही के 2 प्रतिशत की तुलना में कृषि में 3.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। पिछले वर्ष की दूसरी तिमाही में कृषि विकास दर 1.7 प्रतिशत थी। मौजूदा वित्त वर्ष के पहले छह महीने में कृषि क्षेत्र की विकास दर 2.7 प्रतिशत रही है।