रिजर्व बैंक ने ब्याज दरें आधा फीसदी बढ़ाई, महंगाई का अनुमान बढ़ाकर 6.7 फीसदी किया

बढ़ती महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए उम्मीदों के अनुरूप भारतीय रिजर्व बैंक ने नीतिगत ब्याज दर रेपो रेट में आधा फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है। रिजर्व बैंक गर्वनर शक्तिकांत दास ने कहा कि मॉनीटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) की आम सहमति से रेपो दर में  आधा फीसदी की बढ़ोतरी की गई है। इसके साथ ही रिजर्व बैंक ने महंगाई दर के अनुमान को बढ़ाकर 6.7 फीसदी कर दिया है जबकि पहले इसके 5.7 फीदी पर रहने का अनुमान लगाया गया था। इस बढ़ोतरी के साथ रेपो दर 4.9 फीसदी हो गई है

बढ़ती महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए उम्मीदों के अनुरूप भारतीय रिजर्व बैंक ने नीतिगत ब्याज दर रेपो रेट में आधा फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है। रिजर्व बैंक गर्वनर शक्तिकांत दास ने कहा कि मॉनीटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) की आम सहमति से रेपो दर में  आधा फीसदी की बढ़ोतरी की गई है। इसके साथ ही रिजर्व बैंक ने महंगाई दर के अनुमान को बढ़ाकर 6.7 फीसदी कर दिया है जबकि पहले इसके 5.7 फीदी पर रहने का अनुमान लगाया गया था। इस बढ़ोतरी के साथ रेपो दर 4.9 फीसदी हो गई है। रिजर्व बैंक के इस फैसले का असर कर्ज लेने वाले लोगों पर पड़ेगा क्योंकि इसके चलते बैंकों की ब्याज दरों में  बढ़ोतरी होना तय है। हालांकि इस कदम से जमा दरों में बढ़ोतरी होगी और इसके चलते फिक्स्ड डिपॉजिट की दरें बढ़ सकती हैं।

रिजर्व ने चालू साल की आर्थिक विकास के अपने अनुमान में कोई बदलाव नहीं किया है और उसे 7.2 फीसदी के पुराने अनुमान पर ही बरकरार रखा है।

रिजर्व बैंक गर्वनर शक्तिकांत दास ने अपने बयान में कहा कि महंगाई ग्लोबल महंगाई के रूप में बदल चुकी है। इसलिए रिजर्व बैंक की नीति तरलता कम करने की ओर रहेगी ताकि महंगाई पर अंकुश लगाया जा सके। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पहली तीन तिमाही में खुदरा महंगाई की दर रिजर्व बैंक के सहनीय स्तर छह फीसदी से अधिक बनी रह सकती है। इसी को ध्यान में रखते हुए महंगाई के अनुमान को बढ़ाकर 6.7 फीसदी किया गया है।  हालांकि हमारी कोशिश विकास दर को भी बेहतर बनाये रखने की है।

ब्याज दरों में बढ़ोतरी की मुख्य वजह महंगाई पर अंकुश लगाना है। पिछले कई माह ने थोक मूल्य सूचकांक की वृद्धि दर दो अंकों में बनी हुई है। वहीं जिस तरह से खुदरा महंगाई दर में बढ़ोतरी हुई है उसके चलते थोक महंगाई और खुदरा महंगाई के बीच अंतर कम हुआ है। महंगाई का अनुमान बढ़ाने की वजह बताते हुए बैंक ने कहा है कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के चलते कमोडिटी कीमतों में तेजी बनी हुई है। यह तेजी क्रूड ऑयल के साथ ही खाद्य उत्पादों और उद्योगों के लिए जरूरी कच्चे माल की कीमतों में भी बनी हुई है।

पिछले दिनों रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में 40 आधार अंकों की बढ़ोतरी की थी और यह बढ़ोतरी एमपीसी की बैठक के पहले ही की गई थी। इस पर बैंक के निदेशक ने रूरल वॉयस को बताया था कि यह कहना सही नहीं है कि रिजर्व बैंक ने महंगाई रोकने के लिए यह कदम देर से उठाया। असल में रूस और यूक्रेन युद्ध के इतना लंबा खींचने की उम्मीद नहीं थी लेकिन इसके लंबा चलने के चलते अधिकांश देशों  में महंगाई दरों में इजाफा हुआ है और इसका असर हमारे उपर भी पड़ा है। इसीलिए बीच में ही ब्याज दर बढ़ाना जरूरी हो गया था। बैंक द्वारा ब्याज दर में आज की गई बढ़ोतरी को एक अवश्यंभावी कदम के रूप में देखा जा रहा था।