देश के चीनी उत्पादन में गिरावट के पूर्वानुमान को देखते हुए केंद्र सरकार ने गन्ने के जूस से एथेनॉल बनाने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। हालांकि, शीरे से एथेनॉल का उत्पादन जारी रहेगा। इस साल देश के चीनी उत्पादन में पिछले साल के मुकाबले करीब 12 फीसदी गिरावट का अनुमान है। इसके मद्देनजर सरकार चीनी की किल्लत और महंगाई रोकने के उपाय कर रही है।
खाद्य मंत्रालय के डायरेक्टर (शुगर) की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि सभी चीनी मिलें और डिस्टलरी गन्ने के जूस/शुगर सिरप का इस्तेमाल एथेनॉल उत्पादन के लिए नहीं करें। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। बी-हैवी मोलेसेस यानी शीरे से एथेनॉल का उत्पादन जारी रहेगा। गन्ने के जूस से एथेनॉल बनना शुगर इंडस्ट्री के लिए फायदे का सौदा है। लेकिन चीनी उत्पादन में गिरावट को देखते हुए सरकार चुनावी साल में चीनी के दाम काबू में रखना चाहती है। इसलिए गन्ने से जूस से एथेनॉल बनाने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
इस साल कमजोर मानूसन और अल नीनो प्रभाव के चलते महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ने की फसल को काफी नुकसान पहुंचा। इसके चलते देश का चीनी उत्पादन पिछले साल के मुकाबले करीब 41 लाख टन घटने का अनुमान है जो पिछले सीजन (2022-23) में करीब 331 लाख टन रहा था। चालू पेराई सत्र (2023-24) में करीब 290 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान है। जबकि देश में चीनी की खपत 287 लाख टन के आसपास है। इससे जहां घरेलू बाजार में चीनी की कीमतें तेज रहेंगी, वहीं निर्यात की संभावना लगभग न के बराबर रह गई है।
चीनी उद्योग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, महाराष्ट्र में चीनी उत्पादन पिछले साल के मुकाबले 20 लाख टन घटकर 85 लाख टन रहने का अनुमान है, जो पिछले सीजन (2022-23) में 105.30 लाख टन रहा था। हालांकि, दूसरे बड़े चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन पिछले साल से बेहतर रहने का अनुमान है। इसके चलते उत्तर प्रदेश तीन साल बाद फिर से सबसे बड़ा चीनी उत्पादक राज्य बन जाएगा। वहीं अनुपात के हिसाब से चीनी उत्पादन में सबसे अधिक गिरावट कर्नाटक में रहेगी। कर्नाटक में पिछले सीजन में 59.80 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ, जिसके चालू सीजन में गिरकर 38 लाख टन रह जाने का अनुमान है। कर्नाटक में चीनी उत्पादन में यह गिरावट 36 फीसदी बैठती है।
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पिछले सीजन में देश से 64 लाख टन चीनी का निर्यात हुआ था, जबकि चालू सीजन में अभी एक लाख टन चीनी के निर्यात का उद्योग का आंकड़ा है। हालांकि, उद्योग सूत्रों का कहना है कि जिस तरह से उत्पादन की स्थिति बन रही है उसके चलते चीनी निर्यात की संभावना ना के बराबर है। सरकार ने अक्टूबर, 2022 में चीनी निर्यात को मुक्त निर्यात से रेस्ट्रिक्टेड लिस्ट में डाल दिया था। इस साल अक्टूबर में इसे अगले एक साल के लिए रेस्ट्रिक्टेड सूची में ही रखने का फैसला लिया है।
इस साल करीब 40 लाख टन चीनी का डायवर्जन एथेनॉल बनाने के लिए होना था। पिछले सीजन में 44 लाख टन चीनी का डायवर्जन एथेनॉल उत्पादन के लिए किया गया था। सरकार जल्द ही गन्ने की बजाय मक्का से एथेनॉल बनाने की नीति पर भी विचार कर रही है। ताकि पेट्रोल में एथेनॉल मिश्रण के लक्ष्य को हासिल करने के लिए गन्ने के अलावा मक्का से भी एथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा मिल सके।