प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रकाश पर्व के मौके पर राष्ट्र को संबोधन में तीन नये विवादास्पद कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि संसद के आगामी सत्र में इन कानूनों की वापसी की प्रक्रिया शुरू होगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यवस्था को मजबूत करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। इसके लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, किसान संगठनों, कृषि विशेषज्ञों और कृषि अर्थविदों की एक समिति बनाई जाएगी। प्रधानमंत्री की घोषणा पर पिछले करीब एक साल से दिल्ली के बार्डरों पर आंदोलन कर रहे किसानों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि वह फैसले का स्वागत करते हैं लेकिन आंदोलन की वापसी फैसले के अमल के बाद ही होगी।
प्रधानमंत्री की यह घोषणा उस समय हुई है जब दिल्ली की सीमाओं चल रहे किसाानों के आंदोलन को एक साल होने में कुछ दिन ही बचे हैं। किसान 27 नवंबर, 2020 को दिल्ली की सीमाओं पर आ गये थे और दिल्ली जाने की अनुमति नहीं मिलने के चलते वह वहां लगातार धरना दे रहे हैं। इस बीच 600 से ज्यादा किसानों मौत भी इन धऱना स्थलों पर हुई। साथ ही लाल किला हिंसा और लखीमपुर हिंसा जैसी तनाव बढ़ाने वाली घटनाएं भी हुई। सरकार के साथ किसानों के संगठन संयक्त किसानों मोर्चा की बात 22 जनवरी, 2021 की बैठक के बाद टूट गई थी और उसके बाद दोनों पक्षों के बीच बातचीत बंद हो गई थी। किसानों का लगातार चल रहा आंदोलन और अगले कुछ माह में पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव करीब आ रहे हैं। इसके चलते सरकार राजनीतिक नुकसान को लेकर परेशान दिख रही है। सबसे ज्यादा दबाव राजनीतिक नुकसान का ही लग रहा है। पांच जून, 2020 को अध्यादेश के जरिये लाये गये तीन कानूनों को संसद ने सितंबर में पारित कर दिया था जो उसके बाद कानून गये थे। यह कानून हैं आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन) कानून, 2020, द फार्मर्स प्रॉडयूस ट्रेड एंव कामर्स (प्रमोशन एंड फेसिलिटेशन) एक्ट, 2020 और फार्मर्स (इंपावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट आन प्राइस एश्यूरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020। महत्वपूर्ण बात है कि कानूनों को लेकर आंदोलन के बावजूद सरकार ने कानूनों में कोई बदलाव भी नहीं किया था।
सरकार के इस फैसले के शायद भाजपा को आगामी चुनावों में कुछ राहत मिल सकती है। लेकिन अभी किसान संगठनों के फैसले का इंतजार करना होगा क्योंकि इन कानूनों के साथ कई दूसरे मुद्दे भी आंदोलन से जुड़ते गये हैं।