राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को दूसरी इंडियन राइस कांग्रेस का उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि चावल भारतीय खाद्य सुरक्षा का आधार है और अर्थव्यवस्था का भी एक प्रमुख कारक है। भारत आज चावल का अग्रणी उपभोक्ता व निर्यातक है जिसका काफी श्रेय राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान को जाता है। ओडिशा के कटक स्थित राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (एनआरआरआई) में आयोजित इस चार दिवसीय कांग्रेस में देशभर के किसान, देश-विदेश के वैज्ञानिक, केंद्र व राज्यों के कृषि तथा अन्य विभागों के अधिकारी भाग ले रहे हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि पिछली शताब्दी में जैसे-जैसे सिंचाई सुविधाओं का विस्तार हुआ नए स्थानों पर धान उगाया जाने लगा और नए उपभोक्ता मिलने लगे। धान के लिए अधिक मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है लेकिन दुनिया के कई हिस्से जलवायु परिवर्तन के कारण पानी की गंभीर कमी का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भले ही धान नई जमीन पर उगाया जा रहा हो लेकिन ऐसे स्थान भी हैं जहां पारंपरिक किस्मों को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। हमें बीच का रास्ता खोजना है। एक ओर पारंपरिक किस्मों का संरक्षण करना है तो दूसरी तरफ पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखना है। मिट्टी को रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से बचाने की चुनौती भी है। हमें मिट्टी को स्वस्थ रखने के लिए ऐसे उर्वरकों पर निर्भरता कम करने की जरूरत है।
राष्ट्रपति ने कहा कि चावल हमारी खाद्य सुरक्षा का आधार है इसलिए इसके पोषण संबंधी पहलुओं पर भी विचार करना चाहिए। कम आय वाले समूहों का बड़ा वर्ग चावल पर निर्भर है जो उनके लिए दैनिक पोषण का एकमात्र स्रोत होता है। इसलिए चावल के जरिये प्रोटीन, विटामिन व आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व प्रदान करने से कुपोषण से निपटने में मदद मिल सकती है। एनआरआरआई द्वारा देश का पहला उच्च प्रोटीन वाला चावल विकसित करने पर उन्होंने कहा कि इस तरह की बायो-फोर्टिफाइड किस्मों का विकास आदर्श है। उन्होंने विश्वास जताया कि देश का वैज्ञानिक समुदाय चुनौती का सामना करने में सफल होगा।
इस मौके पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि भारत कृषि प्रधान देश है, इसलिए सरकार की कोशिश रहती है कि कृषि को प्राथमिकता दी जाए। किसानों ने परिश्रम व वैज्ञानिकों ने अनुसंधान करके कृषि क्षेत्र में बहुत प्रगति की है। खाद्यान्न की दृष्टि से हम सिर्फ आत्मनिर्भर ही नहीं हैं बल्कि दुनिया को भी मदद करने वाले देशों में से एक हैं। उन्होंने कहा कि पौष्टिकता बढ़ाने के लिए बायो-फोर्टिफाइड चावल की किस्में पैदा करने की जरूरत है। संस्थान ने इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए सीआर 310, 311 व 315 नामक किस्में विकसित की हैं। इस संस्थान ने चावल की 160 किस्में तैयार की है। उन्होंने बताया कि बायो-फोर्टिफाइड चावल को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में देने के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू करते हुए बजट में इसके लिए प्रावधान कर दिया गया है। 2010 में देश में चावल उत्पादन 8.9 करोड़ टन था जो 2022 में 46 प्रतिशत बढ़कर 13 करोड़ टन हो गया है। इसमें किसानों एवं वैज्ञानिकों का महत्वपूर्ण योगदान है। भारत चावल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और सबसे बड़ा निर्यातक देश है।
नरेंद्र तोमर ने कहा कि कृषि में लागत कम करने, उत्पादन बढ़ाने व पानी की कमी जैसी चुनौतियों का समाधान करने के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग अत्यंत आवश्यक है। कृषि क्षेत्र में टेक्नोलॉजी आए एवं निजी निवेश हो, इसके लिए भी बजट प्रावधान किया है। भारत सरकार राज्यों के साथ मिलकर डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन पर काम कर रही है जिसके लिए बजट में 450 करोड़ रुपये रखे गए हैं। सरकार की कोशिश है कि किसानी के क्षेत्र में निजी निवेश आए जिसके लिए एक लाख करोड़ रुपये के एग्री इंफ्रा फंड सहित कृषि एवं संबद्ध कार्यों के लिए डेढ़ लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के प्रावधान किए गए हैं। इससे निजी निवेश के दरवाजे खुले हैं और गांवों तक आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर पहुंचाने की लगातार कोशिश हो रही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस कांग्रेस में धान की खेती को लेकर एक बेहतर रोडमैप तैयार किया जाएगा।
उद्घाटन समारोह में ओडिशा के राज्यपाल प्रो. गणेशीलाल, ओडिशा के मत्स्य पालन व पशु संसाधन विकास मंत्री रणेंद्र प्रताप स्वाईं, आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक, एसोसिएशन ऑफ राइस रिसर्च वर्कर्स के अध्यक्ष डॉ. पी.के. अग्रवाल, चावल अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. ए.के. नायक भी मौजूद थे।