पोल्ट्री उद्योग का राजस्व इस वर्ष 10 फीसदी तक बढ़ने का अनुमान: केयर रिपोर्ट

वित्त वर्ष 2025 में घरेलू पोल्ट्री उद्योग की राजस्व वृद्धि 8-10 प्रतिशत रहने की संभावना है। केयर एज की रिपोर्ट के अनुसार, पोल्ट्री उद्योग के ऑपरेटिंग प्रॉफिट (परिचालन लाभ) मार्जिन में 180-220 बेसिस प्वाइंट्स तक की बढ़ोतरी हो सकती है। 

भारतीय पोल्ट्री उद्योग के राजस्व में मौजूदा वित्त वर्ष में 8-10 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हो सकती है। रेटिंग एजेंसी केयर एज की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024-25 में घरेलू पोल्ट्री उद्योग के ऑपरेटिंग प्रॉफिट (परिचालन लाभ) मार्जिन में 180-220 आधार अंक यानी 1.8 से 2.2 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो सकती है। एजेंसी का अनुमान है कि अगला साल भी पोल्ट्री उद्योग के लिए अच्छा रहेगा। 

उत्पादन और मांग में तेजी

रिपोर्ट के अनुसार, 2024 तक भारत ने अंडे और ब्रॉयलर मीट के उत्पादन में महत्वपूर्ण प्रगति की है। हर साल 140 अरब से अधिक अंडे और करीब 45 लाख टन चिकन मीट का उत्पादन हो रहा है। शहरीकरण और बढ़ती आय के कारण अंडे और चिकन की मांग तेजी से बढ़ी है, जिससे यह उद्योग तेजी से आगे बढ़ रहा है। उद्योग को इनपुट लागत में स्थिरता, बेहतर फ़ीड प्रबंधन और सरकारी सहायता से भी मजबूती मिल रही है। इसके अलावा, त्योहारों और सर्दी के मौसम में मांस और अंडों की मांग बढ़ने से भी उद्योग को फायदा होगा। 

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पिछले एक दशक में भारत में अंडे और मीट का उत्पादन लगातार बढ़ा है और देश की प्रोटीन जरूरतें पूरी करने में यह उद्योग अहम भूमिका निभा रहा है। खाद्य क्षेत्र में मांस, मछली और समुद्री भोजन की अच्छी मांग रहती है। ये कुल प्रोटीन की मांग का करीब 31-34 फीसदी पूरा करते हैं। आने वाले वर्षों में अंडे के उत्पादन में 7-8 फीसदी और मीट उत्पादन में 5-6 फीसदी वृद्धि का अनुमान है।

कोविड-19 के दौरान वर्ष 2020 में पोल्ट्री उद्योग को भारी नुकसान हुआ था, जिससे आय और राजस्व घट गया था। इसके बाद 2022 में प्रमुख पोल्ट्री कंपनियों की कमाई में बढ़ोतरी हुई, लेकिन 2023 और 2024 में मक्का और सोयाबीन की कीमतें बढ़ने से उत्पादन लागत बढ़ गई। मक्का और सोयाबीन पोल्ट्री फीड के मुख्य घटक हैं, और आपूर्ति में समस्याओं की वजह से इनकी कीमतें बढ़ी थीं। हालांकि, 2024 में बेहतर फसल और सरकारी मदद से इनकी कीमतें अब स्थिर हैं।

उद्योग की प्रमुख चुनौतियां 

इनपुट लागत में उतार-चढ़ाव: पोल्ट्री उद्योग फीड के लिए मक्का और सोयाबीन पर निर्भर करता है, जो कुल फीड लागत का लगभग 65-70 फीसदी होता है। वित्त वर्ष 2024 में फीड की कीमतें स्थिर होने से उद्योग के मुनाफे में सुधार हुआ। बड़ी कंपनियां बेहतर ब्रीड और फीड कन्वर्जन रेशियो (एफसीआर) पर ध्यान देकर इस चुनौती से निपटने का प्रयास कर रही हैं।

बीमारियों का असर: विशेषकर एवियन इन्फ्लुएंजा जैसी बीमारियां उद्योग के मुनाफे को प्रभावित करती हैं। बीमारियों से बिक्री घटती है और सुरक्षा उपायों पर खर्च बढ़ता है। उद्योग की प्रमुख कंपनियां वैक्सीन और रोग प्रतिरोधी ब्रीड विकसित करने की कोशिश कर रही हैं।

फीड कन्वर्जन रेशियो (एफसीआर): FCR पोल्ट्री उद्योग में मुनाफे के लिए अहम है। बेहतर ब्रीड और फीड गुणवत्ता में सुधार से एफसीआर को बेहतर किया जा सकता है, जिससे अधिक मुनाफा हासिल होता है।