तीन साल से आलू की खेती में घाटा झेल रहे किसानों के लिए यह साल बेहतर साबित हो सकता है। आलू की कीमतों में आए उछाल से किसानों को राहत मिली है। एक महीने में आलू की कीमतों में 20 रुपये प्रति किलो तक की तेजी आई है। पिछले महीने तक जो आलू 10 से 20 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा था, वह अब 30 से 40 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया है। वहीं, देशभर की थोक मंडियों में आलू 1800 से 2000 रुपये प्रति क्विंटल के बीच बिक रहा है। आलू कारोबारियों के मुताबिक, कीमतें अभी और बढ़ेंगी। कीमतें में यह उछाल नवंबर तक जारी रहेगा। अक्तूबर के बाद से बाजार में नई फसल आने पर ही कीमतों में कमी आ सकेगी।
आलू की बढ़ी कीमतों आई तेजी पर रूरल वॉयस से बात करते हुए उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के किसान और कोल्ड स्टोरेज के मालिक डूंगर सिंह खंडौली कहा कि 2020 के बाद इस साल आलू की कीमतों में थोड़ा सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि इस साल गर्मी काफी ज्यादा पड़ रही है। जिससे सब्जियों का उत्पादन कम हुआ है और कीमतें बढ़ी हैं। सब्जियों की बढ़ी कीमतों को फायदा आलू की कीमतों में बढ़ोतरी के रूप में मिल रहा है। उन्होंने बताया कि थोक मंडियों में आलू 1800 से 2000 रुपये प्रति क्विंटल के बीच बिक रहा है। इस हिसाब से किसानों को 18 से 20 रुपये प्रति किलो का दाम मिल रहा है। जो पिछले तीन सालों में सबसे बेहतर है।
आलू की कीमतों में बढ़ोतरी की एक बड़ी वजह इस साल आलू के उत्पादन में गिरावट आना भी है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2023-2024 में कुल 567 लाख टन आलू का उत्पादन हुआ, जो पिछले साल 2022-2023 के मुकाबले 34 लाख टन कम है। साल 2022-23 में 601 लाख टन आलू का उत्पादन हुआ था। उत्पादन में गिरावट के बारे में पूछने पर डूंगर सिंह ने बताया कि प्रतिकूल मौसम के चलते इस साल आलू के उत्पादन में गिरावट आई है।
आलू की कीमतों में आए उछाल के पीछे कम उत्पादन और बढ़ती गर्मी को एक बड़ी वजह है।। बढ़ती गर्मी के चलते इस बार सब्जियां के उत्पादन पर असर पड़ा है। जिस वजह से सब्जियों की कीमतों तेजी से बढ़ी हैं। सब्जियों की कीमतों में आए उछाल का असर आलू पर भी देखने को मिल रहा है। सब्जियों का उत्पादन घटने से बढ़ी मांग और कीमतों में आए उछाल के चलते आलू महंगा हो गया है। वहीं हाल ही में जारी खाद्य महंगाई के आंकड़ों के मुताबिक, मई में सब्जियां 32.42 फीसदी मंहगी हुई हैं, जो अप्रैल में 23.60 फीसदी थी। इसी तरह आलू भी 64.05 फीसदी तक महंगा हुआ है।
नई फसल आने के बाद कम होंगे दाम
डूंगर सिंह ने बताया कि किसान पिछले तीन सालों से अपनी उपज को घाटे में बेच रहा था। लेकिन, इस ओर किसी का ध्यान नहीं गया। उन्होंने कहा कि आलू रोजाना खाने में इस्तेमाल होने वाली चीज है। इसलिए जब भी इसके दाम बढ़ते हैं तो लोगों का ध्यान इस ओर जाता है। उन्होंने कहा कि पिछले साल किसानों ने एक रुपये किलो के हिसाब से भी अपना आलू बेचा। जबकि, एक किलो आलू के पीछे किसान की लागत 10 रुपये आती है। लेकिन, इस बार आलू की कीमतों में आए उछाल से किसानों को थोड़ी राहत मिली है। उन्होंने कहा कि आलू की कीमतें अभी और बढ़ेंगी। यह उछाल नवंबर तक जारी रहेगा। बाजार में नई फसल आते ही कीतमें में गिरावट आएगी।
आलू पर समर्थन मूल्य दे सरकार
डूंगर सिंह ने सरकार से आलू पर समर्थन मूल्य दिए जाने की मांग भी उठाई। उन्होंने कहा कि किसान धीरे-धीरे आलू की खेती छोड़ रहे हैं, क्योंकि उन्हें उचित मुनाफा नहीं हो रहा है। इससे साल दर साल उत्पादन भी कम हो रहा है। उन्होंने कहा कि किसान औने पौने दाम पर भी अपनी फसल बेच देता है। ऐसे में आलू पर भी समर्थन मूल्य दिया जाना चाहिए। सरकार को इस दिशा में कदम उठाने चाहिए।
किस मंडी में कितना है दाम
केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय के एगमार्कनेट पोर्टल के अनुसार, मंगलवार 18 जून को केरल की कोडुवायूर मंडी में आलू का सबसे अच्छा दाम मिला। यहां आलू 5400 रुपये/क्विंटल के भाव में बिका। इसी तरह, केरल की कट्टप्पना मंडी में आलू 5000 रुपये/क्विंटल, तेलंगाना की सिद्दीपेट (रायथु बाजार) मंडी में 4000 रुपये/क्विंटल और त्रिपुरा की चौमानु मंडी में 4000 रुपये/क्विंटल के भाव में बिका। वहीं, बात अगर आलू के सबसे बड़े उत्पादक उत्तर प्रदेश की करें तो यहां आलू औसतन 1800 से 2000 रुपये प्रति क्विंटल के बीच बिक रहा है। जबकि, पश्चिम बंगाल में आलू औसतन 2300 रुपये प्रति क्विंटल के भाव में बिक रहा है।