गोरखपुर,7 दिसंबर 2021
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को गोरखपुर को करोड़ों की परियोजनाओं का तोहफा दिया। उन्होंने लगभग दस हजार करोड़ रुपये की परियोजनाएं राष्ट्र को समर्पित की। इन परियोजनाओं में सबसे महत्वपूर्ण हिन्दुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड है जिसकी कुल लागत 8603 करोड़ रुपये है। इस मौके पर उन्होंने कहा कि सभी जानते हैं कि गोरखपुर का उर्वरक कारखाना इस पूरे क्षेत्र के किसानों के लिए, यहां रोजगार के लिए कितना महत्वपूर्ण है।
मोदी ने कहा कि गोरखपुर फर्टिलाइजर फैक्ट्री भी देश को यूरिया उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने में बड़ी भूमिका निभाएगी। देश के विभिन्न हिस्सों में बन रहे 5 उर्वरक संयंत्रों के शुरू होने के बाद देश को अतिरिक्त 60 लाख टन यूरिया मिलेगा। भारत को हजारों करोड़ रुपये विदेश नहीं भेजने होंगे, भारत का पैसा भारत में खर्च होगा। उन्होंने कहा कि यह कारखाना राज्य के किसानों को पर्याप्त यूरिया प्रदान करेगा, इससे पूर्वांचल में रोजगार और स्वरोजगार के नए अवसर उपलब्ध होंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने यूरिया का दुरुपयोग को रोका। यूरिया की 100 फीसदी नीम कोटिंग की। हमने करोड़ों किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिया ताकि वह जान सकें कि उनके खेत को किस तरह के उर्वरक की जरूरत है। हमने यूरिया का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया। बंद पड़े उर्वरक संयंत्रों को फिर से खोलने का काम किया।
प्रधानमंत्री बनने से पहले जनवरी 2014 में मोदी ने गोरखपुर फर्टिलाइजर फैक्ट्री को फिर से खोलने का वादा किया था। मोदी ने आज हिंदुस्तान फर्टिलाइजर के नाम से करीब 600 एकड़ में बनी इस फैक्ट्री को राष्ट्र को समर्पित किया। इससे 12 लाख टन से अधिक यूरिया का उत्पादन होगा। इससे क्षेत्र के किसानों को लाभ होगा, साथ ही यह रोजगार के अवसरों को आगे बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाएगा ।
गोरखपुर खाद कारखाने के रूप में पूर्वांचल के किसानों और नौजवानों के हित में योगी आदित्यनाथ का सपना साकार हो गया है। अपने संसदीय कार्यकाल में करीब दो दशक तक जिसके लिए वह संघर्षरत रहे, उसका परिणाम आज देश-दुनिया के सामने है। गोरखपुर का खाद कारखाना सीएम योगी का ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है गोरखपुर की फर्टिलाइजर फैक्ट्री के पुनरुद्धार की मांग दो दशक से अधिक पुरानी थी।
पिछले 30 वर्षों से बंद इस कारखाने को 8600 करोड़ रुपये की लागत से पुनर्जीवित किया गया है। फर्टिलाइजर कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एफसीआईएल) की गोरखपुर इकाई की स्थापना 1969 में यूरिया उत्पादन के लिए नाफ्ता को फीडबैक के रूप में की गई थी। संचालन की तकनीक और वित्तीय गैर-व्यवहार्यता के कारण जून 1990 में संयंत्र को बंद कर दिया गया था।
यह कारखाना यूपी के पूर्वी क्षेत्र और पड़ोसी राज्यों के किसानों को यूरिया की आपूर्ति करेगा। साथ ही यह क्षेत्र के कुशल और अकुशल जनशक्ति दोनों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा करने में मदद करेगा। इस फर्टिलाइजर कारखाना से छोटे और मध्यम उद्यमों के विकास को सुविधाजनक बनाने में भी में मिलेगी। यह बाजार में घरेलू उर्वरकों की कीमत स्थिरता सुनिश्चित करने में भी भूमिका निभाएगा।
वर्तमान में यूरिया की घरेलू खपत 350 लाख टन है जबकि यूरिया का घरेलू उत्पादन 250 लाख टन है। हम लगभग 100 लाख टन यूरिया आयात करने के लिए मजबूर हैं, जो हमें मूल्यवान विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग करने के लिए भी मजबूर करता है। यह संयंत्र न केवल विदेशी मुद्रा भंडार को बचाने में मदद करेगा बल्कि भारत को यूरिया क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने में भी मदद करेगा।
गोरखपुर के खाद कारखाने की स्थापना व संचालन की जिम्मेदारी हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) ने निभाई है। एचयूआरएल एक संयुक्त उपक्रम है जिसमें कोल इंडिया लिमिटेड, एनटीपीसी, इंडियन ऑयल कोर्पोरेशन लीड प्रमोटर्स हैं जबकि इसमें फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और हिंदुस्तान फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन लिमिटेड भी साझीदार हैं। इस संयुक्त उपक्रम के अधीन गोरखपुर खाद कारखाने के निर्माण में करीब 8603 करोड़ रुपये की लागत आई है। एचयूआरएल के इस खाद कारखाने की उत्पादन क्षमता प्रतिदिन 3850 मीट्रिक टन और प्रतिवर्ष 12.7 लाख मीट्रिक टन उर्वरक उत्पादन की है।