अरहर दाल की बढ़ती घरेलू कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने 10 लाख टन तक सरकारी खरीद करने की योजना बनाई है। यह खरीद सरकारी कोऑपरेटिव नेफेड और एनसीसीएफ के जरिये की जाएगी। केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय ने यह जानकारी दी है। इससे पहले अरहर के आयात पर शुल्क घटाने, स्टॉक लिमिट लगाने सहित कई फैसले किए जा चुके हैं, लेकिन कीमतों पर ज्यादा असर नहीं पड़ा।
सहकारिता मंत्रालय की ओर से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट जारी कर कहा गया है कि सरकार का लक्ष्य तूर (अरहर) दाल की खरीद को बढ़ावा देकर दाल की कीमतों को स्थिर करना है। दो प्रमुख राष्ट्रीय सहकारी समितियों नेफेड और एनसीसीएफ के माध्यम से खरीद में वृद्धि 8-10 लाख टन होगी। एक अन्य पोस्ट में मंत्रालय ने बताया है कि यह खरीद बाजार मूल्य पर प्राइस स्टेबलाइजेशन फंड (पीएसएफ) के माध्यम से होगी। यह पहल किसानों को उनकी उपज के लिए सुनिश्चित बाजार और लाभकारी मूल्य पाने के लिए प्रोत्साहित करेगी।
पिछले साल अरहर के घरेलू उत्पादन में करीब 8 लाख टन की कमी आई थी। इसके बाद से ही अरहर दाल की कीमतों में लगातार तेजी का रुख बना हुआ है। पिछले साल 120-125 रुपये प्रति किलो मिलने वाली यह दाल अब 170-190 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के 2022-23 के लिए फसल उत्पादन के अंतिम अनुमानों के मुताबिक, अरहर का उत्पादन 33.12 लाख टन रहा। 2023-24 के पहले अग्रिम अनुमान में अरहर का उत्पादन 34.21 लाख टन अनुमानित है। 2021-22 में अरहर का घरेलू उत्पादन 42.20 लाख टन रहा था।
खरीफ सीजन की प्रमुख दलहन फसल अरहर की बुवाई का रकबा चालू खरीफ सीजन 2023-24 में करीब 37.50 लाख हेक्टेयर रहा है। यह पिछले सीजन के 40.58 लाख हेक्टेयर के मुकाबले करीब 3 लाख हेक्टेयर कम है। इस बार मानसून की स्थिति भी ठीक नहीं रही है। ऐसे में उत्पादन प्रभावित होने की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता है। अरहर की कटाई अगले कुछ दिनों में शुरू होने वाली है।