संसदीय समिति ने एमएसपी की कानूनी गारंटी और किसान कर्जमाफी की सिफारिश की

कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी की अध्यक्षता वाली कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण संबंधी स्थायी समिति की ओर से संसद में पेश की गई रिपोर्ट में एमएसपी की कानूनी गारंटी से होने वाले संभावित फायदों के बारे में बताया गया है। समिति ने तर्क दिया है कि इस तरह के उपाय से किसानों की आत्महत्या में काफी कमी आ सकती है।  30 सदस्यों वाली इस समिति में भाजपा के 13 सदस्य हैं। 

कृषि मामलों पर संसदीय स्थायी समिति ने सरकार से सरकार से फसलों के कानूनी रूप से बाध्यकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लागू करने के साथ ही किसानों की कर्जमाफी की सिफारिश की। संसदीय समिति की यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर हरियाणा-पंजाब बॉर्डर पर किसान आंदोलन कई महीनों से आंदोलन कर रहे हैं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी ने भी किसानों की स्थिति सुधारने के लिए एमएसपी गारंटी कानून बनाने पर विचार करने का सुझाव दिया था।  

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी की अध्यक्षता वाली कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण संबंधी स्थायी समिति की ओर से संसद में पेश की गई रिपोर्ट में एमएसपी की कानूनी गारंटी से होने वाले संभावित फायदों के बारे में बताया गया है। समिति ने तर्क दिया है कि इस तरह के उपाय से किसानों की आत्महत्या में काफी कमी आ सकती है।  30 सदस्यों वाली इस समिति में भाजपा के 13 सदस्य हैं। 

एमएसपी की कानूनी गारंटी के फायदे बताए 

रिपोर्ट में कहा गया है, "समिति दृढ़ता से अनुशंसा करती है कि कृषि और किसान कल्याण विभाग जल्द से जल्द कानूनी गारंटी के रूप में एमएसपी को लागू करने के लिए एक रोडमैप घोषित करे। कानूनी रूप से बाध्यकारी एमएसपी न केवल किसानों की आजीविका बल्कि ग्रामीण आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देगा।“

फिलहाल सरकार कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों पर 23 कृषि उपजों के लिए एमएसपी तय करती है। लेकिन इनमें से खरीद गेहूं, धान व कुछ गिनी-चुनी फसलों की ही होती है। कई फसलों के दाम एमएसपी से नीचे चले जाते हैं और किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है क्योंकि एमएसपी पर खरीद करना कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है। इसलिए किसान एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं।

2020-21 में किसान आंदोलन के चलते तीन विवादित कृषि कानूनों को निरस्त करते हुए केंद्र सरकार ने एमएसपी के मुद्दे पर विचार करने का वादा किया था। लेकिन इस मामले पर बनी समिति की रिपोर्ट आज तक नहीं आई है। एमएसपी गारंटी कानून की मांग को लेकर इस साल 13 फरवरी से किसान हरियाणा-पंजाब के शंभू व खनौरी बॉर्डर पर बैठे हैं और कई बार दिल्ली कूच का प्रयास कर चुके हैं।

समिति की अहम सिफारिशें    

संसदीय समिति ने किसानों की आत्महत्याएं रोकने के लिए एक मजबूत एमएसपी प्रणाली को लागू करने, फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए किसानों को मुआवजा प्रदान देने, खेत मजदूरों के लिए न्यूनतम मजदूरी के लिए राष्ट्रीय आयोग गठित करने, किसानों और खेत मजदूरों के लिए ऋण माफी और कृषि मंत्रालय का नाम बदलकर इसमें खेत मजदूरों को शामिल करने सहित कई सिफारिशें की हैं। इनमें पीएम-किसान की धनराशि को सालाना 6 हजार रुपये से बढ़ाकर 12 हजार रुपये करने का सुझाव भी शामिल है। 

समिति ने इस बात पर जोर दिया कि एमएसपी के माध्यम से सुनिश्चित आय किसानों को कृषि में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करेगी, जिससे उत्पादकता में वृद्धि होगी। चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा है कि रिपोर्ट को सर्वसम्मति से और पार्टी लाइन से ऊपर उठकर सदस्यों की सहमति से स्वीकार किया गया। एमएसपी की कानूनी गारंटी किसानों की आत्महत्याओं को काफी हद तक कम कर सकती है।