चालू खरीफ सीजन में अब तक धान की बुवाई का रकबा लगभग 4 फीसदी बढ़कर 398.08 लाख हेक्टेयर पहुंच गया है, जबकि दालों का रकबा 8 फीसदी घट गया है। कृषि मंत्रालय के 1 सितंबर तक के आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है। आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल की समान अवधि में धान का रकबा 383.79 लाख हेक्टेयर रहा था।
ताजा आंकड़ों के मुताबिक, बिहार में धान के बुवाई रकबे में 5 लाख हेक्टेयर, छत्तीसगढ़ में 4.66 लाख हेक्टेयर, झारखंड में 1.82 लाख हेक्टेयर और पश्चिम बंगाल में 1.56 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। जबकि मध्य प्रदेश में 1.48 लाख हेक्टेयर, हरियाणा में 1.29 हेक्टेयर, उत्तर प्रदेश में 1.21 लाख हेक्टेयर, तेलंगाना में 33,000 हेक्टेयर और पंजाब में 31,000 हेक्टेयर ज्यादा क्षेत्र में इस साल धान की बुवाई हुई है। कर्नाटक में धान का रकबा 1.67 लाख हेक्टेयर और आंध्र प्रदेश में 1.21 लाख हेक्टेयर कम रहा है।
शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, दालों की बुवाई का क्षेत्रफल एक साल पहले की अवधि में 130.13 लाख हेक्टेयर था जो इस साल 8 प्रतिशत घटकर 119.09 लाख हेक्टेयर रह गया है। मोटे अनाज का रकबा एक साल पहले के 179.13 लाख से मामूली बढ़कर 181.06 लाख हो गया है। तिलहनों फसलों की बुवाई भी 191.91 लाख हेक्टेयर के मुकाबले अब तक थोड़ी कम होकर 190.11 लाख हेक्टेयर रह गई है।
मूंगफली का क्षेत्रफल 45 लाख हेक्टेयर से घटकर 43.37 लाख हेक्टेयर और सोयाबीन का रकबा 123.91 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 125.13 लाख हेक्टेयर हो गया है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, कपास की बुवाई का क्षेत्र 125.63 लाख हेक्टेयर से घटकर 122.99 हेक्टेयर पर आ गया है। हालांकि, गन्ने का क्षेत्रफल एक साल पहले की अवधि के 55.65 लाख हेक्टेयर से अधिक 59.91 लाख हेक्टेयर रहा है। चालू खरीफ सीजन में बुवाई का कुल क्षेत्रफल 1,073.22 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 1,077.82 लाख हेक्टेयर हो गया है।
1901 के बाद से देश में इस साल अगस्त का महीना सबसे सूखा रहा है। अगस्त में कम बारिश के बावजूद सितंबर के पहले हफ्ते के अंत तक दक्षिण-पश्चिम मानसून के फिर से सक्रिय होने की उम्मीद है जिससे देश के मध्य और दक्षिणी हिस्सों में बारिश होने की संभावना है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा है कि सितंबर में दीर्घ अवधि (एलपीए) औसत के 91-109 फीसदी के बीच सामान्य वर्षा होने की संभावना है। हालांकि, महापात्र ने कहा है कि भले ही सितंबर में बारिश अधिक रहे, लेकिन जून-सितंबर में मानसून की बारिश का औसत सामान्य से कम रहने की उम्मीद है।