लखनऊ
अगर आप थकान से भरे हैं तो दिन में एक गिलास गन्ने का रस पिएंगे तो आप अच्छे स्वाद के साथ फ्रेश हो जाते हैं। लेकिन शायद आप में से कम ही लोग जानते होंगे कि यह सबसे ताज़ा ऊर्जा पेय में से एक है जिसके पीने से स्वास्थ्य लाभ मिलता हैं। गन्ने का रस खासकर गर्मियो के दिनों में ताजगी और उर्जा के एक बेहतरीन विकल्प है लेकिन लोगों द्वारा इसे जरूरी महत्व नहीं देने से इसका बड़ा बाजार विकसित नहीं हो सका है।
लेकिन अच्छी खबर यह है कि अगले गर्मी मौसम से पहले इसकी मैट्रिक्स अच्छी तरह से बदल सकती है। दुनिया में ब्राजील के बाद भारत दूसरा बड़ा गन्ना उत्पादक देश है और इस बात की संभावना बन रही है कि आने वाले दिनों में बेहतर तकनीक के माध्यम से पैक्ड गन्ने का रस उपलब्ध हो सकेगा। जिसकी लंबी सेल्फ लाइफ होगी। कानपुर स्थित राष्ट्रीय चीनी संस्थान (एनएसआई ) बिना किसी भी तरह के प्रिजरवेटिव का इस्तेमाल किये ताजा गन्ने के रस को सुरक्षित रूप से पैक करने की नई तकनीक पर काम कर रहा है।
इस कार्य के लिए एनएसआई कानपुर ने वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान (सीएफटीआरआई) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमय़ू) पर हस्ताक्षर किए हैं।
एनएसआई के निदेशक नरेंद्र मोहन के अनुसार, संस्थान गन्ने रस के लिए इस तकनीक पर काम कर रहा है कि गन्ने के रस को बिना प्रिजरवेटिव के इस्तेमाल किए लंबे समय तक पैक कर सुरक्षित रखा जा सके। जिससे लोग गन्ने के रस को कभी भी अपने हेल्थ और ताजगी के लिए कभी भी सेवन कर सकें ।
नरेंद्र मोहन का कहना है कि ज्यादातर लोग गन्ने का रस पीने की इच्छा ऱखते हुए भी सड़क पर स्टालों में बिक रहे गन्ने के रस को स्वच्छता की कमी के कारण खरीद कर पीने और टेस्ट लेने में परहेज करते हैं। जिसके कारण वह गन्ने के रस के स्वाद के साथ साथ ऑफ सीजन गन्ने के रस के स्वस्थ पेय से वंचित रह जाते हैं। बाजार में बिक रहे ज्यादातर पैक्ड जूस में प्रिजर्वेटिव का इस्तेमाल होता है और अधिकतर ड्रिंक्स में 100 फीसदी जूस भी नहीं होता है।
एनएसआई के निदेशक ने विश्वास व्यक्त किया कि हमारे द्वारा तैयार गन्ने का रस न केवल उपभोक्ताओं को जूस के रूप में एक स्वस्थ विकल्प प्रदान करेगा बल्कि इसके साथ ही किसानों को गन्ने के रस के माध्यम से उनको गन्ने का अच्छा मूल्य पाने का एक सुनहरा अवसर प्रदान होगा उन्होंने कहा कि गन्ने की रस यह नई तकनीक को अगले कुछ महीनों में व्यावसायिक रूप से लॉन्च कर दी जाएगी।
नरेंद्र मोहन ने हाल ही में लखनऊ में उत्तर प्रदेश शुगर मिल्स कोजेन एसोसिएशन की बैठक के मौके पर बात करते हुए इस बात पर जोर दिया कि एक स्थायी कृषि मॉडल विकसित करने और ग्रामीण आय बढ़ाने के लिए शुगरकेन प्रोडक्ट्स का विस्तार करना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि घरेलू चीनी उत्पादन में 60 फीसदी हिस्सेदारी औद्योगिक उपभोक्ताओं की है जबकि घरेलू उपभोक्ताओं की हिस्सेदारी केवल 40 फीसदी है। बेवरेज, घरेलू और फार्मा सेगमेंट द्वारा विभिन्न प्रकार की चीनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उद्योग को अपग्रेड करना जरूरी है। उन्होंने चीनी उद्योग को अन्य गन्ना उत्पादन सह –उत्पाद की चेन में तेजी से विविधता लाने का सुझाव दिया, जिसमें वैनिला एसेंस, पर्यावरण के अनुकूल क्रॉकरी, हार्डबोर्ड आदि शामिल हैं।