रबी सीजन की मुख्य फसल गेहूं की सरकारी खरीद 1 अप्रैल से शुरू हो चुकी है। छह दिन बीतने के बावजूद अभी भी ज्यादातर खरीद केंद्र शुरू नहीं हो पाए हैं। इस वजह से गेहूं खरीद रफ्तार नहीं पकड़ पा रही है। 6 अप्रैल तक करीब 1.60 लाख टन गेहूं की खरीद हो पाई है। इसमें भी ज्यादातर हिस्सा देश के सबसे बड़े गेहूं उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश का ही है।
केंद्रीय खाद्य मंत्रालय के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के पोर्टल पर दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, 6 अप्रैल तक कुल 1,59,894.91 टन गेहूं की सरकारी खरीद हुई है। इसमें मध्य प्रदेश की हिस्सेदारी 1,58,125.26 टन है। जबकि उत्तर प्रदेश में अभी तक 1,522.70 टन, हरियाणा में 241.15 टन और पंजाब में सिर्फ 5.80 टन गेहूं सरकारी एजेंसियों ने खरीदा है। राजस्थान, हिमाचल प्रदेश सहित 6 राज्यों में अभी खरीद शुरू नहीं हो पाई है। आंकड़ों के मुताबिक, देश के 10 राज्यों में 8,482 खरीद केंद्र खोले जाने हैं जिनमें से अभी तक सिर्फ 754 केंद्र ही खोले गए हैं। केंद्र और राज्यों की 18 सरकारी एजेंसियां चालू रबी सीजन में गेहूं की खरीद करेंगी। इनमें से अभी 8 एजेंसियां ही खरीद शुरू कर पाई हैं।
मध्य प्रदेश में गेहूं की कटाई पिछले महीने ही शुरू हो गई है। इसलिए यहां खरीद केंद्र भी पहले ही शुरू हो चुके हैं। राज्य में 3,237 खरीद केंद्र खोले जाने हैं जिनमें से 626 शुरू हो चुके हैं। यहां दो सरकारी एजेंसियां पंजीकृत किसानों से गेहूं खरीद रही हैं। राज्य के सभी 52 जिलों में खरीद केंद्र खुल चुके हैं। मध्य प्रदेश में 25 मार्च से गेहूं की खरीद शुरू हुई थी मगर गेहूं में ज्यादा नमी होने की वजह से 28 मार्च को खरीद बंद कर दी गई थी और किसानों से इसे सूखा कर लाने को कहा गया था। यहां 1 अप्रैल से दोबारा इसकी शुरुआत हुई। पहले दौर में यहां करीब 11 हजार टन गेहूं की खरीद सरकारी एजेंसियों ने की थी। पिछले महीने मध्य प्रदेश सहित देश के कई राज्यों में बेमौसम बारिश की वजह से गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचा है। इसकी वजह से केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश सरकार की मांग पर गेहूं खरीद मानकों में छूट देने की घोषणा की है। घोषणा के मुताबिक, गेहूं की चमक 10 फीसदी तक कम रहने के बावजूद किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर ही गेहूं खरीदने की छूट दी गई है। जबकि 10 फीसदी से ज्यादा और 80 फीसदी तक चमक कम होने पर एमएसपी में कटौती की जाएगी। केंद्र सरकार ने कहा है कि ऐसे गेहूं की कुल कीमत की तीन तिहाई कीमत एमएसपी पर दी जाएगी, जबकि बाकी कीमत में एक चौथाई फीसदी की कटौती की जाएगी। सरकार ने चालू रबी सीजन के लिए गेहूं का समर्थन मूल्य 2,125 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।
खाद्य मंत्रालय के आंकड़ों में बताया गया है कि उत्तर प्रदेश में 4,905 खरीद केंद्र खोलने की योजना है जिनमें से 123 केंद्र खोले जा चुके हैं। यहां 7 सरकारी एजेंसियां गेहूं की खरीद करेंगी जिनमें से 4 ने खरीद शुरू कर दी है। इसी तरह, हरियाणा में 15 सरकारी खरीद केंद्र खोले जाने की योजना है। इनमें से 4 केंद्रों पर खरीद शुरू हो चुकी है। यहां 4 एजेंसियों में से अभी तक सिर्फ 1 ने खरीद शुरू की है। यहां के कई खरीद केंद्रों पर बारदाने की भी किल्लत है जिससे किसानों को गेहूं बेचने में दिक्कत हो रही है। हालांकि, यहां अभी फसल की कटाई ने जोर नहीं पकड़ा है। जहां तक पंजाब की बात है तो आमतौर पर राज्य में गेहूं की कटाई बैसाखी (13 अप्रैल) के बाद ही शुरू होती है। इसलिए अभी यहां सिर्फ 1 खरीद केंद्र शुरू हुआ है। जबकि राज्य की 325 खरीद केंद्रों पर 5 सरकारी एजेंसियां गेहूं की खरीद करेंगी। पंजाब और हरियाणा के गेहूं की केंद्रीय पूल में 12 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी रहती है।
जानकारों का कहना है कि ज्यादातर खरीद केंद्र नहीं खुलने और खरीद के रफ्तार नहीं पकड़ने के पीछे वजह यह है कि पिछले महीने देश के कई राज्यों में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है। गेहूं के पौधे गिर गए हैं जिसकी कटाई और तैयारी में किसानों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। कटी हुई फसलों के बारिश में भीगने की वजह से उनमें नमी भी ज्यादा है। इसलिए भी आवक कम है। 15 अप्रैल के बाद ही सरकारी खरीद के रफ्तार पकड़ने की संभावना है। केंद्र सरकार की नोडल एजेंसी भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने चालू रबी सीजन में 341 लाख टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा है।