प्याज का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) 800 डॉलर प्रति टन तय करने के सरकार के फैसले के बाद थोक मंडियों में दाम में कमी आई है, मगर इसका फायदा उपभोक्ताओं को नहीं मिल रहा है। खुदरा बाजार में अभी भी प्याज 70-80 रुपये प्रति किलो मिल रहा है। थोक और खुदरा बाजार में प्याज की बढ़ती कीमतों को देखते हुए सरकार ने 28 अक्टूबर को न्यूनतम निर्यात मूल्य तय करने का फैसला किया था।
एनसीसीएफ और नेफेड द्वारा बफर स्टॉक से प्याज जारी करने की मात्रा बढ़ाए जाने के बाद मंडियों में आवक बढ़ गई है जिसका असर थोक भाव पर पड़ा है। हालांकि, विशेषज्ञ बता रहे हैं कि यह गिरावट अस्थायी है। एमईपी तय किए जाने का बाजार के सेंटीमेंट पर असर पड़ा है जो कुछ दिनों तक रह सकता है। नई फसल आने के बाद ही कीमतों में स्थायी गिरावट आने की संभावना है। नई फसल दिवाली के बाद ही आएगी। विशेषज्ञों के मुताबिक, एनसीसीएफ और नेफेड अगस्त से ही बफर स्टॉक से प्याज बाजार में उतार रहे हैं। पिछले कुछ हफ्तों में बफर स्टॉक से प्याज जारी करने की मात्रा घट गई थी जिससे कीमतों में तेजी देखने को मिली।
केंद्र सरकार ने दावा किया है कि एमईपी तय करने से महाराष्ट्र में थोक कीमतों में 5-9 फीसदी तक की गिरावट आई है। महाराष्ट्र की सभी मंडियों में औसत थोक कीमतों में 4.5 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। हालांकि, थोक में दाम घटने के बावजूद देश के ज्यादातर शहरों में प्याज 70-80 रुपये प्रति किलो ही बिक रहा है। खुद केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्रालय के आंकड़े भी कह रहे हैं कि सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्याज का औसत खुदरा भाव 78 रुपये प्रति किलो था। जबकि अखिल भारतीय स्तर पर औसत भाव 50.35 रुपये प्रति किलो रहा। आंकड़ों के मुताबिक, प्याज की अधिकत खुदरा कीमत 83 रुपये और न्यूनतम 17 रुपये किलो रही।
उपभोक्ताओं को किफायती कीमत पर प्याज उपलब्ध कराने के लिए एनसीसीएफ और नेफेड की ओर से मोबाइल वैन के जरिये भी प्याज की बिक्री की जा रही है। देश के 170 शहरों में 685 मोबाइल वैन के जरिये 25 रुपये प्रति किलो पर प्याज की खुदरा बिक्री की जा रही है।