सरकार द्वारा तीन कृषि कानूनों को रद्द करने कि लिए संसद में फार्म लॉज रिपील बिल 2021 को पारित कराये जाने के बाद अब इस पर राष्ट्रपति ने भी दस्तखत कर दिये हैं। वहीं दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों से संगठन संयुक्त किसान मोर्चा ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने समेत छह मांगें सरकार के सामने रखी हैं। इस बीच आंदोलन के जारी रहने को लेकर कई तरह के कयास लगाये जा रहे हैं। लेकिन संयुक्त किसान मोर्चा की समिति के एक प्रमुख सदस्य का कहना है कि आंदोलन के भविष्य को लेकर जो भी फैसला होगा वह चार दिसंबर की बैठक में ही लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अभी जो कयास लगाये जा रहे हैं उनका कोई आधार नहीं है।
समिति के उक्त सदस्य ने रूरल वॉयस को बताया कि मोर्चा की समिति की बैठक आज भी हुई थी और गुरुवार को भी बैठक होगी। हम अपनी मांगों को लेकर अडिग हैं और चार दिसंबर की संयुक्त मोर्चा की बैठक काफी अहम होने जा रही रही है।
वहीं कुछ सूत्रों का कहना है कि जिस तरह से सरकार आंदोलन को समाप्त करने के लिए कोशिश कर रही है उससे देखते हुए लग रहा है कि हो सकता है कि चार दिसंबर के पहले ही किसान संगठनों की अधिकांश मांगों पर सरकार सहमति जता दे।
इस बीच संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बयान जारी कर रहा है कि सरकार द्वारा, औपचारिक संवाद शुरू न करके, और लंबित मांगों के बारे में सरकार को याद दिलाने के लिए एसकेएम द्वारा भेजे गए पत्र का औपचारिक रूप से जवाब नहीं देकर, विरोध करने वाले किसानों को विभाजित करने के निरंतर प्रयासों की निंदा करता है। सरकार से अपनी मांगों के लिए किसान संगठन एकजुट हैं और एसकेएम सरकार से सभी आवश्यक विवरणों के साथ औपचारिक संवाद की प्रतीक्षा कर रहा है। मोर्चा के बयान में कहा गया है कि संयुक्त किसान मोर्चा दृढ़ता से स्पष्ट करता है कि दिल्ली के आसपास के मोर्चा स्थल पहले की तरह जारी हैं, और एसकेएम के घटक संगठनों के बीच कोई दरार है।