पाम ऑयल के आयात पर निर्भरता घटाने के लिए केंद्र सरकार ने ऑयल पाम के उत्पादन क्षेत्र को 10 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाने और 2025-26 तक कच्चे ऑयल पाम का उत्पादन 11.20 लाख टन करने का लक्ष्य रखा है। खाद्य तेलों पर राष्ट्रीय मिशन- ऑयल पाम के तहत राज्य सरकारों ने ऑयल पाम प्रसंस्करण कंपनियों के साथ मिलकर 'मेगा ऑयल पाम वृक्षारोपण अभियान' का शुभारंभ 25 जुलाई को किया गया था जो 12 अगस्त को संपन्न हो गया। इस दौरान 11 राज्यों के 49 जिलों में 3,500 हेक्टेयर रकबे में पौधरोपण किया गया। हालांकि, यह लक्ष्य के आधे से भी कम है। इस अभियान के तहत 7,750 हेक्टेयर में ऑयल पाम के पौधरोपण का लक्ष्य रखा गया था।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से शनिवार को जारी एक बयान में कहा गया है कि इस अभियान का मकसद ऑयल पाम की खेती को और बढ़ावा देना, खाद्य तेलों के उत्पादन में देश और किसानों को 'आत्मनिर्भर' बनाना शामिल है। इस अभियान के माध्यम से 2025-26 तक पाम ऑयल की खेती में 6.5 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र को बढ़ाने के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी। आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, गोवा, कर्नाटक, मिजोरम, नागालैंड, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना और त्रिपुरा इसके प्रमुख उत्पादक राज्य हैं।
बयान के मुताबिक, इस अभियान में पतंजलि फूड प्राइवेट लिमिटेड, गोदरेज एग्रोवेट और 3एफ जैसी ऑयल पाम प्रसंस्करण कंपनियों ने सक्रिय रूप से भागीदारी की। इसके अलावा, केई कल्टीवेशन और नवभारत जैसी अन्य क्षेत्रीय कंपनियों ने भी इस अभियान में भाग लिया। इस अभियान के माध्यम से राज्य और कंपनियां 11 राज्यों के 49 जिलों के 77 गांवों में 7,000 से अधिक किसानों तक पहुंचने में सक्षम रही। इस दौरान लगभग 3500 हेक्टेयर क्षेत्र में 5 लाख से अधिक वृक्षारोपण किया गया।
इस व्यापक वृक्षारोपण अभियान के हिस्से के रूप में कंपनियों ने विभाग के कर्मचारियों के साथ किसानों के लिए ऑयल पाम की खेती पर उत्कृष्ट और व्यापक स्तर पर सघन तकनीकी प्रशिक्षण सेमिनारों का भी आयोजन किया। इन सेमिनारों का उद्देश्य किसानों और कर्मचारियों को प्रबंधन पैकेजों के बारे में अधिक जागरूक बनाना था जिससे पौधों के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी, उत्पादकता बढ़ेगी और स्थायी आय स्रोतों का सृजन होगा।
ऑयल पाम के राष्ट्रीय मिशन के तहत किसानों को गुणवत्ता रोपण सामग्री, फसल के रखरखाव और इंटरक्रॉपिंग के लिए वित्तीय सहायता सहित विभिन्न प्रोत्साहन प्रदान किए जाते हैं। साथ ही, किसानों को उनकी उपज के लिए गारंटीड कीमतों के साथ एक सुनिश्चित बाजार भी उपलब्ध कराया जाता है।