भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को लगातार सातवीं बार प्रमुख ब्याज दर रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करने का निर्णय लिया है। आरबीआई का कहना है कि वह खाद्य मुद्रास्फीति के बढ़ने के जोखिम के प्रति सतर्क है। रेपो रेट वह ब्याज दर है जिसके आधार पर बैंक लोन की ब्याज दर तय करते हैं।
चालू वित्त वर्ष के लिए पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने प्रमुख ब्याज दर यानी रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया है। दरअसल, खाद्य मुद्रास्फीति की अनिश्चितता के कारण महंगाई बढ़ने की आशंका है। इसलिए आरबीआई खाद्य मुद्रास्फीति और महंगाई बढ़ने के जोखिम को लेकर सतर्क है। मौद्रिक नीति समिति के छह में पांच सदस्य रेपो रेट को अपरिवर्तित रखने के पक्ष में थे।
फरवरी में उपभोक्ता मूल्य आधारित मुद्रास्फीति (सीपीआई) 5.1 फीसदी थी। जबकि सरकार ने आरबीआई को सीपीआई मुद्रास्फीति को 2 प्रतिशत के मार्जिन के साथ 4 प्रतिशत पर सुनिश्चित करने को कहा है। महंगाई की चुनौती को देखते हुए फिलहाल रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
इससे लोगों को सस्ते लोन के लिए इंतजार करना पड़ेगा। लंबे समय से आरबीआई ने रेपो रेट में कटौती नहीं की है। कई एक्सपर्ट्स उम्मीद जता रहे थे कि पैनल इस बार भी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करेगा। इससे पहले वित्त वर्ष 20223-24 की अंतिम बैठक में रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर स्थिर रखने का फैसला किया था।
आरबीआई ने रेपो रेट को आखिरी बार पिछले साल फरवरी 2023 में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी कर 6.25 फीसदी से 6.50 फीसदी कर दिया था। पिछले साल अप्रैल में दर वृद्धि को रोक दिया गया था। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में जीडीपी ग्रोथ 7 फीसदी रहने का अनुमान है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में मांग मजबूत हो रही है और निजी खपत भी बढ़ने की उम्मीद है। वित्तीय वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही के लिए जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 6.8% से बढ़ाकर 6.9% कर दिया गया है।