जेनेटिकली मोडिफाइड (जीएम) फसलों से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 10 नवंबर, 2022 को होगी। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सुधांशु धूलिया ने इस संबंध में जीन कैंपेन और अरूणा रॉड्रिगस द्वारा दायर याचिका रिट पिटिशन (सिविल) न0 115/2004 पर सुनवाई की। याचिकाकर्ता की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने पक्ष रखा जबकि सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल और अन्य वकील पेश हुए।
देर शाम आये सुप्रीम कोर्ट के संक्षिप्त आर्डर में कहा गया है कि सरकार की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसीटर जनरल की मांग को स्वीकार करते हुए उन्हें अपना पक्ष रखने के लिए समय दिया गया है। उन्होंने I.A. No. 122182 of 2021 के संबंध में रिकार्ड पर अतिरिक्त एफिडेविट और अतिरिक्त डॉक्यूमेंट्स पेश करने के लिए समय मांगा था। आदेश में कहा गया है कि याचिकाकर्ता भी अतिरिक्त दस्तावेज फाइल कर सकते हैं। न्यायालय ने दोनों पक्षों से कहा कि वह अगली सुनवाई के पहले इस मुद्दे पर एक शार्ट नोट्स भी दाखिल करें। इस मामले को अगली सुनवाई के लिए 10 नवंबर के लिए लिस्ट किया गया है।
इस संक्षिप्त आर्डर में कहीं भी इस मुद्दे पर यथास्थिति की बात नहीं की गई है। हालांकि याचिकाकर्ताओं में से एक अरूणा रॉड्रिग्स ने रूरल वॉयस के एक सवाल के जवाब में कहा कि कोर्ट ने यथास्थिति के लिए कहा है। हालांकि यह बात उन्होंने आर्डर के आने के पहले कही थी और साथ ही कहा था कि हमें आर्डर का इंतजार करना चाहिए।
जीएम फसलों के मुद्दे पर देश में लंबे समय से विवाद चल रहा है। इस संबंध में अरूणा रॉड्रिग्स और जीन कैंपेन ने याचिका दायर की थी।
जेनेटिक इंजीनयरिंग अप्रेजल कमेटी (जीईएसी) ने 18 अक्तूबर, 2022 की बैठक में देश में जीएम सरसों की किस्म डीएमएच-11 के इनवायरनमेंटल रिलीज की सिफारिश का फैसला लिया था। उसके बाद बैठक की सिफारिश को 25 अक्तूबर को जीईएसी की मिनेट्स के रूप में जारी कर दिया गया था। वहीं सरसों की जीएम किस्म डीएमएच-11 विकसित करने वाले प्रोफेसर दीपक पेंटल को इसकी सूचना देने के लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने पत्र लिखकर सूचित किया था कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) इसके फील्ड डिमांस्ट्रेशन और ट्रायल कर सकती है।
इस फैसले के बाद से जीएम सरसों को लेकर विरोध और पक्ष में विभिन्न संगठनों और वैज्ञानिकों के बयानों का सिलसिला जारी है।
सुप्रीम कोर्ट के गुरुवार के फैसले को इसके साथ जोड़कर भी देखा जा रहा है। इसलिए इस मामले में स्थिति 10 नवंबर की सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद ही साफ हो सकेगी, जब न्यायालय में सरकार अपना जबाव व संबंधित दस्तावेज पेश करेगी और याचिकाकर्ता अपना पक्ष रखने के लिए अधिक जानकारी रखेंगे।
एक वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक ने रूरल वॉयस को बताया कि जीएम फसलों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक टेक्नीकल एक्सपर्ट कमेटी (टीईसी) भी गठित की थी। इस कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है।