कृषि और खाद्य प्रसंस्करण पर राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा हमें कृषि को कमेस्ट्री की प्रयोगशालाओं से बाहर निकालना होगा और इसे प्रकृति की प्रयोगशाला से जोड़ना होगा। उन्होंने कहा की जब मैं किसी प्राकृतिक प्रयोगशाला की बात करता हूं, तो वह विशुद्ध रूप से विज्ञान आधारित होती है। गुजरात के आणंद में कृषि और खाद्य प्रसंस्करण पर राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन के समापन सत्र के दौरान पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए किसानों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि बीज से लेकर मिट्टी तक सभी समाधान प्राकृतिक रूप से लाए जा सकते हैं क्योकि लोगों भ्रम भी पैदा किया गया है कि रसायनों के बिना फसल अच्छी नहीं होगी। जबकि सच्चाई इसके ठीक उलट है। पहले कोई रसायन नहीं था, लेकिन फसल अच्छी थी। इतिहास मानवता के विकास का गवाह है।
पीएम मोदी ने कहा आज हमारे साथ लगभग करोड़ किसान किसान जुड़े हुए हैं कॉन्क्लेव का असर सिर्फ गुजरात में ही नहीं पूरे देश में होगा। जिसका फायदा सभी किसानों को मिलेगा खाद्य प्रसंस्करण, प्राकृतिक खेती इन सभी मुद्दों से कृषि क्षेत्र को बदलने में मदद मिलेगी।उन्होंने सभा मे कहा कि देश के छोटे पैमाने के 80% किसानों को प्राकृतिक खेती से सबसे अधिक लाभ होगा। इन किसानों के पास 2 हेक्टेयर से भी कम जमीन है और ये रासायनिक खाद पर काफी खर्च करते हैं। हमें खेती की तकनीक में होने वाली गलतियों से भी छुटकारा पाना है। जानकारों का कहना है कि खेत को जलाने से जमीन की उर्वरा शक्ति को नुकसान पहुंचता है। लेकिन भूसा जलाने की परंपरा बन गई है।
पीएम मोदी ने कहा, 'हमें कृषि से जुड़े अपने इस प्राचीन ज्ञान को न केवल फिर से सीखने की जरूरत है, बल्कि हमें इसे आधुनिक समय के अनुसार आकार देने की भी जरूरत है. इस दिशा में हमें नए सिरे से शोध करना है, प्राचीन ज्ञान को आधुनिक वैज्ञानिक ढांचे में ढालना है।
पीएम मोदी ने कहा,आज मैं देश के हर राज्य, हर राज्य सरकार से प्राकृतिक खेती को जन आंदोलन बनाने के लिए आगे आने का आग्रह करूंगा। इस अमृत महोत्सव में प्रत्येक पंचायत के कम से कम एक गांव को प्राकृतिक खेती में शामिल किया जाना चाहिए, यह प्रयास हम कर सकते हैं।
कृषि और खाद्य प्रसंस्करण पर राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि हम देश में एक प्रयोगशाला स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं जो भूमि का ऑडिट करेगी और जैविक उत्पादों को प्रमाणित करेगी ताकि किसानों को अधिक कीमत मिल सके. अमूल और अन्य इस पर काम कर रहे हैं। इससे जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा। जैविक उत्पादन में समय लगता है। गाय के गोबर की खाद जैसी प्राकृतिक खाद मिट्टी की उर्वरता में सुधार करती है। उन्होंने आगे कहा कि 2019 से पीएम मोदी ने किसानों से जैविक खेती करने की अपील की है।