खाद्य तेल उद्योग की शीर्ष संस्था सीओओआईटी (कूइट) ने 2021-22 के फसल वर्ष में 109.50 लाख टन सरसों उत्पादन का अनुमान जताया है। यह अब तक का रिकॉर्ड और पिछले वर्ष की तुलना में 29 प्रतिशत अधिक होगा। रबी (सर्दियों) की फसल सरसों का उत्पादन पिछले वर्ष 85 लाख टन था।
कूइट के अनुसार करीब 87.44 लाख हेक्टेयर में सरसों की खेती की गई है। औसत उपज 1270 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होने का अनुमान है। संस्था ने पूरे भारत में विभिन्न टीमों के व्यापक दौरे के बाद इस रबी सीजन में सरसों उत्पादन के अनुमानों को अंतिम रूप दिया है।
कूइट के चेयरमैन सुरेश नागपाल ने कहा कि सरसों उत्पादन में संभावित वृद्धि देश के लिए शुभ संकेत है, क्योंकि सरसों तेल का घरेलू उत्पादन बढ़ने से खाद्य तेल आयात में कमी आएगी। भारत खाद्य तेलों की कुल घरेलू मांग का लगभग 60-65 प्रतिशत आयात करता है। 2020-21 के तेल वर्ष (नवंबर-अक्टूबर) में 1.3 करोड़ टन खाद्य तेलों का आयात हुआ था और यह एक साल पहले के बराबर था। लेकिन मूल्य के लिहाज से आयात बिल 72,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 1.17 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
नागपाल ने कहा, "किसानों ने इस रबी सीजन के दौरान अधिक क्षेत्र में सरसों की बुवाई की। उन्हें पिछले साल की फसल से अच्छी आय हुई थी।" सरसों की पैदावार रबी के मौसम में ही होती है। इसकी बुवाई अक्टूबर से और कटाई मार्च से शुरू होती है। यह खासकर राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए महत्वपूर्ण नकदी फसल है।
राजस्थान देश का सबसे बड़ा सरसों उत्पादक राज्य है। यहां 2021-22 के रबी सीजन के दौरान सरसों का उत्पादन पिछले वर्ष के 35 लाख टन से बढ़कर 49.50 लाख टन होने की उम्मीद है। उत्तर प्रदेश में उत्पादन 13.5 लाख टन से बढ़कर 17 लाख टन होने की संभावना है। मध्य प्रदेश में सरसों का उत्पादन 8.5 लाख टन से बढ़कर 12.5 लाख टन होने का अनुमान है।
पंजाब और हरियाणा में सरसों का उत्पादन 11.50 लाख टन होने की उम्मीद है, जो पिछले वर्ष के 9.5 लाख टन से ज्यादा है। गुजरात में उत्पादन पिछले वर्ष के चार लाख टन के मुकाबले बढ़कर 6.5 लाख टन होने की उम्मीद है। पश्चिम बंगाल, पूर्वी भारत और अन्य राज्यों में उत्पादन पिछले वर्ष के समान ही 14.5 लाख टन रहने की संभावना है।
राजस्थान के भरतपुर में 12-13 मार्च को केंद्रीय तेल उद्योग और व्यापार संगठन (सीओओआईटी) 42वें वार्षिक सम्मेलन के दौरान इन अनुमानों को अंतिम रूप दिया गया। इसमें राज्य के कई मंत्रियों, अधिकारियों, कृषि वैज्ञानिकों, उद्योग जगत के दिग्गजों और प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया। कार्यक्रम की मेजबानी भरतपुर तेल मिल संघ (बोमा) ने की।