खाद्य तेल उद्योग के सर्वोच्च संस्था सेंट्रल ऑर्गनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री एंड ट्रेड (सीओओआईटी) के अनुसार, देश में सरसों का उत्पादन 2021-22 के रबी सीजन में 100-110 लाख टन तक बढ़ने का अनुमान है, जैसा कि किसानों ने इस सीजन में पिछले सीजन की तुलना में तिलहन फसलों की बुवाई 22 फीसदी ज्यादा क्षेत्रफल में की गई है। सरसों की खेती है। रबी फसलों में से एक है, 2020-21 के फसल वर्ष (जुलाई-जून) में इसका उत्पादन 8.5 लाख टन था।
सीओओआईटी के अध्यक्ष बाबूलाल दाता ने कहा कि इस वर्ष राजस्थान सहित सभी उत्पादक राज्यों में अधिक सरसों की बुवाई की गई है। ऐसे में हमारा अनुमान है कि 2021-22 सीजन में सरसों का उत्पादन 100-110 लाख टन तक पहुंच सकता है।
जैसा कि अब तक 88.50 लाख हेक्टेयर में तिलहनी फसलो की बुवाई हो चुकी है पिछले साल सरसों की खेती करने वाले किसानों को काफी फायदा हुआ है। सरसों की कीमत साल भर के 4650 रुपये के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी अधिक रही। सरसों का बाजार मूल्य 9000 हजार प्रति क्विंटल तक पहुंच गया था जिससे किसानों को काफी फायदा हुआ है। इस वजह से अगले साल भी तिलहनी फसलों के उपज का बेहतर मूल्य मिलने की आशा में किसान सरसों की खेती तरफ ज्यादा रूचि देखी जा रही है।
रूरल व़ॉयस ने इस साल सरसों की खेती काअधिक क्षेत्रफल बढ़ाने के बारे में गौतमबुद्ध नगर जिले के नई बस्ती गांव के किसान चितरंजन भाटी से बात की तो उन्होंने बताया कि सरसों का तेल बाजार में ज्यादा महंगा है इसके चलते हमने इस बार सरसों की खेती की है क्योंकि इससे जहां हमें सरसों का बेहतर दाम मिलने की संभावना है वहीं हमें अपने घरेलू इस्तेमाल के लिए बाजार से महंगा सरसों तेल नहीं खरीदना पड़ेगा।