न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर किसानों की फसलों की अनिवार्य खरीद के लिए एमएसपी गारंटी कानून की मांग को लेकर देश भर से किसान संगठन एक बार फिर दिल्ली में जुटे हैं। किसान संगठनों ने कहा कि जब तक एमएसपी गारंटी कानून नहीं बन जाता है तब इसकी लड़ाई को वह देश के गांव-गांव तक लेकर जाएगे। राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के संयोजक वी एम सिंह ने कहा कि एमएसपी गारंटी कानून की मांग बहुत पुरानी मांग है। देश के सभी किसान चाहते हैं कि उनकी फसलों का उचित मूल्य मिले। उन्होंने कहा कि इस बार वह किसी प्रदर्शन या आंदोलन के लिए नहीं बल्कि एमएसपी गारंटी किसान मोर्चा के बैनर तले तीन दिवसीय सम्मेलन में हिस्सा लेने आए हैं।
उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे तो उन्होंने खुद मुख्यमंत्रियों की समिति के अध्यक्ष के रूप में देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सामने लिखित में यह मांग रखी थी कि एमएसपी को अनिवार्य किया जाए। आज जब वह खुद प्रधानमंत्री के पद पर हैं तो यह काम कर सकते हैं, लेकिन नहीं कर रहे हैं।
वी एम सिंह ने कहा कि सितंबर 2020 में जब उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय कृषि मंत्री के साथ बैठक की थी तो उन्होंने भी यही मांग की थी लेकिन केंद्र सरकार ने उनकी एक नहीं सुनी। अब समय आ गया है कि किसान एक बार फिर अपनी मांगों को लेकर मिलकर काम करें।
स्वाभीमानी शेतकरी संगठन के अध्यक्ष और पूर्व सांसद राजू शेट्टी भी इस अभियान में वीएम सिंह के साथ जुड़े हैं। राजू शेट्टी सांसद रहते हुए एमएसपी गारंटी कानून के लिए संसद में एक प्राइवेट मेंबर बिल भी पेश कर चुके हैं, जिसका समर्थन 21 राजनीतिक दलों ने किया था लेकिन इसके बावजूद यह कानून नहीं बन पाया।
राजू शेट्टी ने कहा कि आज सरकार सिर्फ पांच फीसदी फसल खरीदती है बाकी बाजार में बिकती है यदि एमएसपी पर खरीद अनिवार्य हो जाती है तो किसानों की बड़ी समस्या का समाधान हो जाएगा। उसके बाद जो भी उनकी फसल खरीदता है उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। आज अगर देश में न्यूनतम मजदूरी दर को अनिवार्य किया जा सकता है तो एमएसपी गारंटी कानून भी संभव है बशर्ते सरकार इच्छा शक्ति दिखाए।
एमएसपी गारंटी मोर्चा अधिवेशन में आये किसानों ने एक बार फिर एमएसपी और किसानों के अन्य मुद्दों पर केंद्र सरकार द्वारा गठित कमेटी को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा है कि इस कमेटी का गठन सिर्फ मुद्दे को खत्म करने के लिए किया गया है। उन्हें इस बात का बिल्कुल भी भरोसा नहीं है कि यह कमेटी किसी नतीजे पर पहुंचेगी। किसान प्रतिनिधियों का यह सत्र दिल्ली के देहात में पंजाब खोड़ गांव में 8 अक्टूबर तक चलेगा जिसमें किसान संगठन एमएसपी की कानूनी वैधता के लिए आंदोलन की रूपरेखा तय करेंगे।