मौसम विभाग (आईएमडी) ने मानसून का पूर्वानुमान जारी किया है। मानसून सीजन (जून-सितंबर) के दौरान सामान्य से अधिक बारिश की संभावना है। मौसम विभाग के अनुसार, आगामी मानसून सीजन के दौरान पूरे देश में दीर्घावधि औसत (एलपीए) का 106 फीसदी बारिश होने का अनुमान है। अनुकूल ला-नीना स्थितियों के कारण इस साल सामान्य से अधिक मानसूनी बारिश हो सकती है। मानसून का सामान्य से बेहतर रहना देश की कृषि और अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि मानसून की ऋतुनिष्ठ वर्षा दीर्घावधि औसत का 104 फीसदी से अधिक होने की 61 फीसदी उच्च संभावना है। वर्तमान में भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र पर अल-नीनो की मध्यम स्थिति बनी हुई है। जलवायु मॉडल से संकेत मिलते हैं कि मानसून सीजन के शुरुआती दिनों तक अल-नीनो कमजोर हो जाएगा। मानसून सीजन के दूसरे हिस्से में ला-नीना स्थितियां विकसित होने की संभावना है। इससे अच्छी बारिश के आसार बन सकते हैं।
फिलहाल देश के कुछ हिस्से अत्यधिक गर्मी से जूझ रहे हैं। अप्रैल से जून की अवधि में काफी अधिक संख्या में हीटवेव वाले दिनों की आशंका है। पूरे देश में औसत बारिश सामान्य से अधिक होने के बावजूद देश में कई इलाकों को बारिश की कमी का सामना करना पड़ा सकता है।
उत्तर-पश्चिम और उत्तर-पूर्व में कम बारिश की उम्मीद
आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि उत्तर-पश्चिम, पूर्व और उत्तर-पूर्व भारत के कुछ हिस्सों में मानसून सीजन के दौरान सामान्य से कम बारिश हो सकती है।
जलवायु मॉडलों ने मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के कई हिस्सों के लिए मानसून वर्षा के बारे में कोई "स्पष्ट संकेत" नहीं दिया है। यह देश का मुख्य मानसून क्षेत्र है जहां कृषि काफी हद तक वर्षा आधारित है।
महापात्र ने कहा कि आईएमडी मई के मध्य में भारतीय भूभाग पर मानसून की शुरुआत और जून, जुलाई, अगस्त और सितंबर के दौरान वर्षा पर अपडेट देगा।
ला-नीना से अधिक बारिश की संभावना
पिछले 72 साल के मौसम के आंकड़ों से पता चलता है कि जब अल-नीनो के बाद ला-नीना की घटना हुई, उन सभी नौ मौकों पर मानसून बारिश सामान्य से अधिक रही है। देश में 22 में से 20 ला-नीना वर्षों में मानसून बारिश सामान्य या सामान्य से अधिक हुई।
आईएमडी के अनुसार, मानसून के मौसम में सामान्य वर्षा की 29 प्रतिशत संभावना, सामान्य से अधिक वर्षा की 31 प्रतिशत संभावना और अधिक वर्षा की 30 प्रतिशत संभावना है। देश में 50 वर्षों की औसत सालाना बारिश (दीर्घावधि औसत) 87 सेमी से 96-104 प्रतिशत के बीच वर्षा को 'सामान्य' माना जाता है। दीर्घावधि औसत के 90 प्रतिशत से कम वर्षा को 'कम' माना जाता है जबकि 105 प्रतिशत से 110 प्रतिशत के बीच 'सामान्य से अधिक' और 110 प्रतिशत से अधिक वर्षा को 'अत्यधिक' वर्षा माना जाता है।