इस साल समय से पहले हीट वेव और रिकॉर्ड तोड़ गर्मी से उत्तर भारत में आम की फसल को भारी नुकसान हुआ है। इससे आम की बागवानी से जुड़े किसानों के सामने भी संकट की स्थिति बन गई है। किसानों का कहना है कि इस साल उत्पादन में 50 से 70 फीसदी तक की गिरावट हुई है। आम के लिए मशहूर लखनऊ, मलीहाबाद में भी उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
लखनऊ जिले के गांव लतीफपुर निवासी अतुल अवस्थी ने रूरल वॉयस को बताया कि उनके पास चार हेक्टेयर में आम का बाग है। इसमें 3.5 हेक्टेयर में दशहरी प्रजाति के आम के पेड़ हैं। इनसे हर साल 17 से 18 टन प्रति हेक्टेयर आम मिलता था। लेकिन इस साल मार्च में अचानक तापमान बढ़ने और हीट वेव की वजह से उत्पादन मात्र सात टन प्रति हेक्टेयर रह गया। उत्पादन 60 फीसदी घटने से उन्हें बहुत आर्थिक नुकसान हुआ है।
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के ग्राम चौरा खुर्द निवासी ने महक सिंह ने 10 हेक्टेयर में आम और लीची के बाग हैं। उन्होंने रूरल वॉयस को बताया कि इस साल 21 मार्च से 30 मार्च तक हीट वेव के कारण आम के फूल नष्ट हो गए। सबसे ज्यादा दशहरी और चौसा प्रजाति को नुकसान हुआ है। महक सिंह ने कहा कि हीट वेव की वजह से लीची की फसल को भी काफी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि आम उत्पादन में 50 फीसदी लीची में लगभग 70 फीसदी तक का नुकसान है।
इस संबध में रूरल वॉयस ने केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के रहमान खेड़ा लखनऊ के प्रधान वैज्ञानिक डॉ एच. एस. सिहं के साथ बातचीत की तो उन्होंने बताया कि आम का फूल निकलने के समय और फ्रूट सेटिंग के वक्त एक निश्चित तापमान का रहना जरूरी है, क्योंकि आम में फल बनने के लिए परागण होना जरूरी है। लेकिन इस साल जाड़े का मौसम लम्बी अवधि तक चला और अचानक तापमान में बढ़ोतरी हो गई। इससे आम में परागण की क्रिया ठीक बाधित हुई और फूल में फल नही बन पाए।
डॉ सिंह ने बताया कि आम में फूल निकलने औऱ परागण के लिए 30 डिग्री सेल्सियस के आसपास का तापमान अच्छा है। उत्तर भारत में मार्च में यही तापमान रहता है। लेकिन इस साल मार्च का महीना अप्रैल और मई की तरह गर्म था। मौसम विज्ञान विभाग (आइएमडी) के अनुसार, देश भर में मार्च 2022 में दर्ज किया गया औसत अधिकतम तापमान (33.10 डिग्री सेल्सियस) पिछले 122 वर्षों में सबसे अधिक था। मार्च 2010 में देश का अधिकतम तापमान 33.09 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था जिसके कारण आम में परागण की क्रिया काफी प्रभावित हुई और निषेचन नहीं हो पाया। डॉ सिंह के अनुसार जिन पौधों में फूल पहले आ गये थे और तापमान बढ़ने के पहले ही परागण और निषेचन क्रिया सम्पन हो गई, उनमें फल अच्छी तरह सेट हो गये।
आम के उत्पादन में इस तेज गिरावट से आम 80 से 100 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है। लखनऊ में एक आम विक्रेता ने बताया कि इस साल आम की फसल नहीं होने कारण हमें किसानों से ज्यादा दाम पर खरीदना पड़ा रहा है। इस कारण बजार में भी मंहगा बिक रहा है। लोग गर्मी में आम का लुत्फ उठाने का इंतजार करते हैं। लेकिन अचानक हीटवेव से आम इस बार खास बन गया है।