ऐसे समय जब खुदरा महंगाई दर 6 फ़ीसदी से ऊपर पहुंच गई है, सरकार ने नए वित्त वर्ष 2022-23 के लिए मनरेगा की दरों में राष्ट्रीय स्तर पर सिर्फ 4.25 फ़ीसदी की बढ़ोतरी की है। 2021-22 में सबसे कम महंगाई दर अप्रैल 2021 में 4.23 फ़ीसदी थी। फरवरी तक 11 महीने में से यह सात महीने 5 फ़ीसदी से ऊपर रही है। मार्च में भी इसके ऊपर रहने का ही अंदेशा है। ऐसे में मनरेगा की मजदूरी में सिर्फ 4.25 फ़ीसदी की औसत बढ़ोतरी को विभिन्न मजदूर संगठन बहुत कम मान रहे हैं।
मनरेगा की मजदूरी कर्नाटक और केरल में सबसे अधिक बढ़ी है, लेकिन वह भी सिर्फ 20 रुपए है। कर्नाटक में इसे 289 रुपए से 6.92 फ़ीसदी यानी 20 रुपए बढ़ाकर 309 रुपए प्रतिदिन किया गया है। केरल में मजदूरी 291 रुपए से 6.87 फ़ीसदी यानी 20 रुपए बढ़ाकर 311 रुपए की गई है। सबसे कम 2.23 फ़ीसदी की बढ़ोतरी असम में हुई है जहां मनरेगा मजदूर को मिलने वाली मजदूरी 224 रुपए से बढ़कर सिर्फ 229 रुपए हुई है। बिहार और झारखंड में इसे 198 से बढ़ाकर 210 रुपए, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में 193 से बढ़ाकर 204 रुपए, हरियाणा में 315 से बढ़ाकर 331 रुपए, पंजाब में 269 से बढ़ाकर 282 रुपए, हिमाचल प्रदेश में 254 से बढ़ाकर 266 रुपए, राजस्थान में 221 से 231 रुपए, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में 204 से बढ़ाकर 213 रुपए तथा गुजरात में 269 से बढ़ाकर 239 रुपए प्रतिदिन किया गया है।
इस मामूली बढ़ोतरी के बाद नरेगा संघर्ष मोर्चा और पीपुल्स ऐक्शन फॉर एंप्लॉयमेंट गारंटी ने केंद्र सरकार पर एक बार फिर मनरेगा पर हमला करने का आरोप लगाया है। इसका कहना है कि मनरेगा श्रमिकों के लिए 28 मार्च 2022 को मजदूरी दर अधिसूचित की गई। नए वित्त वर्ष से सिर्फ 3 दिन पहले मजदूरी अनुसूचित करने से उस पर बहस की गुंजाइश को खत्म कर दिया गया। सरकार ने अगले साल के लिए मनरेगा में 4 रुपए से 21 रुपए तक की बढ़ोतरी की है। तीन राज्यों मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में तो एक रुपए की भी बढ़ोतरी नहीं की गई है।
दोनों संगठनों का कहना है कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशन भोगियों को 31 फ़ीसदी महंगाई भत्ता मिलता है, जिसके लिए सरकारी खजाने से 9,544 करोड रुपए जाते हैं। सरकार साल में दो बार महंगाई भत्ता संशोधित करती है लेकिन मनरेगा श्रमिकों के लिए मजदूरी की दर की उपेक्षा की जाती है।
इन संगठनों ने गुरुवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि मनरेगा मजदूरी में वृद्धि करने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में खर्च बढ़ेगा जिससे अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ाने में मदद मिलेगी। इनका कहना है कि मनरेगा मजदूरी दर कृषि क्षेत्र के लिए न्यूनतम मजदूरी से भी कम है। इस तरह करोड़ों मनरेगा मजदूर एक और वर्ष के लिए बंधुआ मजदूरी झेलने के लिए मजबूर होंगे। कर्नाटक में यह अंतर सबसे अधिक है। वहां मनरेगा मजदूरी की नई दर 309 रुपए प्रतिदिन निर्धारित की गई है जबकि कृषि क्षेत्र के लिए न्यूनतम मजदूरी 441 रुपए है। इस तरह नरेगा मजदूरी दर कृषि मजदूरी की तुलना में 132 रुपए कम है। यह अंतर बिहार में 82 रुपए, पंजाब में 87 रुपए, गुजरात में 71 रुपए, छत्तीसगढ़ में 58 रुपए, उत्तराखंड में 32 रुपए, हरियाणा में 46 रुपए, मध्य प्रदेश में 24 रुपए, राजस्थान में 21 रुपए, और महाराष्ट्र में 20 रुपए है। उत्तर प्रदेश में मनरेगा मजदूरी दर 213 रुपए और कृषि न्यूनतम मजदूरी 201 रुपए है।
इन संगठनों का कहना है कि सरकार हर साल मनरेगा मजदूरी दर की गणना में इस्तेमाल किए जाने वाले फार्मूले को सार्वजनिक नहीं करती है, जिससे इसमें पारदर्शिता नहीं आ पाती है। इन संगठनों ने मनरेगा मजदूरी दर 600 रुपए प्रतिदिन करने के साथ समय पर मजदूरी का भुगतान किए जाने की मांग की है। इनका कहना है कि यह सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक होगा जिसने अक्टूबर 2016 में न्यूनतम मासिक वेतन 18,000 रुपए तय किया था।