पॉल्ट्री उद्योग की मांग पर पशुपालन, मत्स्य पालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा जेनेटिकली मोडिफाइड (जीएम) सोयाबीन से तैयार 15 लाख टन सोयामील के आयात का रास्ता साफ करने के बावजूद इसका मुश्किल में पड़ता दिख रहा है। जिस तेजी से इस आयात के लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने अपनी मंजूरी दी और इसके लिए जेनेटिक इंजीनिरिंग अप्रेजल कमेटी (जीईएसी) की मंजूरी की जरूरत नहीं होने की बात कही उसको लेकर सवाल उठ सकते हैं। यही नहीं सोयामील के आयात की जरूरत बताते हुए खाद्य, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के वित्तीय सलाहकार ने भी संबधित विभागों को एक पत्र लिखकर आयात के लिए तुरंत जरूरी कदम उठाने को कहा। लेकिन 17 अगस्त को वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के एक आफिस मेमोरेंडम ने सोयामील आयात का रास्ता मुश्किल कर दिया है। कस्टम विभाग के इस आफिस मेमोरेंडम में साफ कहा गया है कि जीएम सोयाबीन से तैयार सोयामील के आयात के लिए जीईएसी की मंजूरी लेना जरूरी है और यह आयात नीति के प्रावधान का हिस्सा है।
पशुपालन मंत्रालय द्वारा पॉल्ट्री उद्योग को 11 अगस्त, 2021 को पत्र लिखकर सोयामील के आयात पर सहमति की बात कही गई थी। इसमें साफ कहा गया था कि इसके लिए जीईएसी की मंजूरी की जरूरत नहीं है। लेकिन इसके दो दिन बाद 13 अगस्त को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के किसान संगठन भारतीय किसान संघ (बीकेएस) ने इस आयात अनुमति को रद्द करने की मांग करते हुए इस फैसले को किसान विरोधी बताया। वहीं महाराष्ट्र से राज्य सभा सांसद डॉ. फौजिया खान ने 15 अगस्त को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सोयामील आयात रोकने के लिए कहा है। उन्होंने इसे किसान विरोधी फैसला बताते हुआ कहा कि यह आयात किसानों के लिए नुकसानदेह साबित होगा। महाराष्ट्र एक बड़ा सोयाबीन उत्पादक राज्य है इसलिए किसानों के हितों के देखते हुए इस आयात के फैसले पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए।
महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान सोयाबीन के बड़े उत्पादक राज्य हैं। करीब डेढ़ माह बाद सोयाबीन की इस साल की खऱीफ सीजन की फसल बाजार में आ जाएगी। ऐसे में कोई भी आयात किसानों को मिलने वाली सोयाबीन की कीमतों पर प्रतिकूल असर डालेगा। हालांकि इस समय दुनिया भर में सोयाबीन की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के साथ ही देश में सोयाबीन की उपलब्धता न के बराबर है। इसके चलते एनीमल फीड और खास तौर से पॉल्ट्री फीड बनाने वाली कंपनियों के लिए भारी संकट चल रहा है और कीमतें भी काफी बढ़ गई हैं। लेकिन जिस तरह से आयात का विरोध हो रहा है उसे देखते हुए यह फैसला हो पाएगा कहना काफी मुश्किल है।
इस मसले पर ताजा रुख वित्त मंत्रालय के सीमा शुल्क विभाग का है जिसमें कहा गया है कि जीएम सोयाबीन से तैयार सोयामील के आयात के पहले इसे जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रेजल कमेटी (जीईएसी) की मंजूरी की जरूरत है। वित्त मंत्रालय का आफिस मेमोरेंडम 17 अगस्त, 2021 का है। वहीं इसके एक दिन पहले 16 अगस्त को एक पत्र लिखकर उपभोक्ता मामले मंत्रालय के वित्तीय सलाहकार ने 12 लाख टन सोयामील के आयात के लिए तुरंत जरूरी कदम उठाने के लिए संबंधित विभागों को कहा। यह पत्र उन्होंने वित्त मंत्रालय में राजस्व विभाग, कृषि मंत्रालय, वाणिज्य मंत्रालय और पशुपालन मंत्रालय के सचिवों को लिखा था।
मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी विभाग ने ऑल इंडिया पॉल्ट्री ब्रीडर्स एसोसिएशन के चेयरमैन को 11 अगस्त, 2021 को लिखे एक पत्र में कहा था कि वह उद्योग की 15 लाख टन सोयामील के आयात की मांग से सहमत है। साथ ही कहा था कि जीएम सोयाबीन से तैयार सोयामील में कोई लिविंग आर्गनिज्म नहीं है इसलिए इसके लिए जीईएसी की मंजूरी की जरूरत नहीं है। इसके लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की 6 अगस्त की इस मुद्दे पर राय का हवाला दिया गया। साथ ही यह भी कहा था कि सोयामील मानव उपभोग के लिए नहीं है इसलिए इससे फूड सेफ्टी एंड स्टेंडर्ड अथारिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) की मंजूरी की भी जरूरत नहीं है।
इस मुद्दे पर सबसे पहली विरोध प्रतिक्रिया भारतीय किसान संघ (बीकेएस) की ओर से आई जिसमें जीएम सोयाबीन से तैयार सोयामील के आयात को मंत्रालय की हरी झंडी को एक गलत फैसला बताते हुए इसकी आलोचना की थी। बीकेएस के जनरल सेक्रेटरी बद्री नारायण चौधरी ने 13 अगस्त को पशुपालन, डेयरी और मत्स्य विभाग सचिव को एक पत्र लिखकर इस मंजूरी का विरोध किया गया। साथ ही कहा कि जीएम से संबंधित तमाम मुद्दों पर फैसलों के लिए एक अंतरमंत्रालयी समूह होना चाहिए। साथ ही कहा था कि इस आयात को जीईएसी की मंजूरी की जरूरत नहीं होने की बात गैर जिम्मेदाराना है। बीकेएस ने मंत्रालय सचिव को फैसला वापस लेने के लिए कहा था।
वित्त मंत्रालय के कस्टम विभाग के 17 अगस्त, 2021 के आफिस मेमोरेंडम में विस्तार से इस मामले के विभिन्न पहलुओं पर बात की गई है। इसमें 10 अगस्त, 2021 के एक पत्र व्यवहार का हवाला देते हुए कहा गया है कि यह यह साफ नहीं है कि आयात किया जाने वाला सोयामील जीएम सोयाबीन से तैयार सोयामील है या नहीं। लेकिन ऐसा लगता है कि यह सोयामील जीएम सोयाबीन से तैयार किया गया होगा । इसलिए इस संबंध में आयात नीति के संबंधित प्रावधानों के तहत जीएम फीड के लिए जीईएसी की मंजूरी अनिवार्य है। साथ ही इसमें आयात नीति के प्रावधानों से संबंधित पैराग्राफ भी जोड़ दिया गया है। जिसमें साफ है कि जीएम फीड को जीईएसी की मंजूरी अनिवार्य है। पत्र में कहा गया है कि उक्त प्रावधानों के मद्देनजर एनीमल फीड के लिए जीएम सोयामील के आयात के लिए पहले जीईएसी की मंजूरी लेना जरूरी है। विभाग का मानना है कि जीएम खाद्य पदार्थों के लिए एफएसएसएआई की मंजूरी जरूरी है और गैर खाद्य जीएम पदार्थ के लिए जीईएसी की मंजूरी जरूरी है। यह उत्पाद गैर खाद्य उत्पाद है, इसलिए इसके लिए जीईएसी की मंजूरी की जरूरत है। इसके साथ ही इसमें बताया गया है कि 27 दिसंबर, 2007 के एक आदेश के जरिये सोयाबीन तेल के एक बार आयात की मंजूरी दी गई थी और उसके लिए जीईएसी की मंजूरी ली गई थी।
संबंधित मंत्रालयों के बीच इस पत्र व्यवहार के बाद लगता है कि सोयामील के आयात के मसले पर अंतरमंत्रालयी तालमेल बहुत बेहतर नहीं स्थिति में नहीं है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 6 अगस्त, 2021 को कहा कि इसे जीएम सोयाबीन से तैयार सोयामील के आयात पर कोई आपत्ति नहीं है और साथ ही इसें नॉन लिविंग आर्गनिज्म नहीं होने से इसके लिए जीईएसी की मंजूरी की जरूरत नहीं है। दिलचस्प बात है कि पॉल्ट्री उद्योग की आयात की मांग के बाद पर्यावरण मंत्रालय की राय बहुत जल्द आ गई थी। लेकिन अब वित्त मंत्रालय के रुख के बाद स्थिति पेचीदा हो गई है।
इस साल दुनिया भर में उत्पादन में भारी गिरावट के चलते सोयाबीन की कीमतों में रिकार्ड बढ़ोतरी हुई है। इसके चलते सोयामील की कीमतें कुछ माह के भीतर ही करीब दो गुना बढ़ चुकी हैं। इसके चलते पॉल्ट्री उद्योग के लिए फीड के दाम बहुत तेजी से बढ़े हैं। इस संकट को हल करने के लिए पॉल्ट्री उद्योग लगातार सोयामील के आयात की मांग सरकार से कर रहा है। फिलहाल पॉल्ट्री फीड बनाने वाली कंपनियां अपनी क्षमता के काफी कम स्तर पर काम कर रही हैं।