केंद्र सरकार ने बासमती निर्यात पर 1200 डॉलर प्रति टन से अधिक न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) लागू करने का फैसला लिया है। वाणिज्य मंत्रालय द्वारा एपीडा के चेयरमैन को लिखे एक पत्र में कहा है कि बासमती निर्यात के लिए रजिस्ट्रेशन-कम-एलोकेशन सर्टिफिकेट को 1200 डॉलर प्रति टन से ऊपर की कीमत के सौदों तक ही सीमित रखा जाए। इस पत्र में कमेटी ऑफ सेक्रेटरीज की 21 अगस्त, 2023 को हुई बैठक में लिये गये फैसला का हवाला दिया गया है। वाणिज्य मंत्रालय द्वारा एपीडा चेयरमैन को 25 अगस्त को यह पत्र भेजा गया है। इसके साथ ही वित्त मंत्रालय ने 25 अगस्त को जारी अधिसूचना के जरिये पारबॉयल्ड राइस (सेला चावल) के निर्यात पर 20 फीसदी शुल्क भी लगा दिया है।
इसके साथ ही इसमें कहा गया है कि यह रजिस्ट्रेशन-कम-अलोकेशन सर्टिफिकेट जारी करने के लिए 1200 डॉलर प्रति टन से ऊपर की कीमत का यह फैसला 15 अक्तूबर, 2023 तक के लिए लागू होगा। अक्तूबर के पहले सप्ताह में समीक्षा के बाद आगे की अवधि के लिए फैसला लिया जाएगा। अक्तूबर में समीक्षा के पीछे सरकार द्वारा नई फसल की आवक को देखना माना जा सकता है। अक्तूबर में बासमती धान की बाजार में आवक शुरू हो जाएगी और इसके उत्पादन की स्थिति भी साफ हो जाएगी। हालांकि सरकार के इस कदम का बासमती धान की कीमत पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
इस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय बासमती चावल की कीमत 1550 डॉलर प्रति टन तक मिल रही है। वहीं भारत के प्रतिस्पर्धी पाकिस्तान के बासमती चावल की कीमत 1350 डॉलर प्रति टन है। सरकार द्वारा लागू की गई न्यूनतम निर्यात कीमत का फायदा पाकिस्तान को मिल सकता है। अमेरिकी कृषि विभाग की ताजा रिपोर्ट में इस साल पाकिस्तान से 49 लाख टन चावल के निर्यात का अनुमान लगाया गया है, जबकि पिछले साल वहां से 36 लाख टन चावल का निर्यात हुआ था।
इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत से चावल का निर्यात 190 लाख टन रहने का अनुमान है। पिछले साल भारत ने 223 लाख टन चावल का निर्यात किया था। भारत के कुल चावल निर्यात में बासमती चावल की मात्रा करीब 45 लाख टन रही थी।
सरकार ने चावल निर्यात पर अंकुश लगाने के लिए लगातार कई कदम उठाये हैं। सितंबर 2022 में ब्रोकन राइस के निर्यात पर रोक लगाई गई थी। साथ ही गैर बासमती चावल के निर्यात पर 20 फीसदी निर्यात शुल्क लगा दिया था। हालांकि सेला चावल को इससे बाहर रखा था। उसके बाद पिछले माह, 20 जुलाई को सरकार ने गैर-बासमती व्हाइट राइस के निर्यात पर रोक लगा दी थी। जबकि 25 अगस्त, 2023 को सेला चावल के निर्यात पर 20 फीसदी शुल्क लगाने का फैसला लिया गया। अब बासमती चावल के लिए 1200 डॉलर प्रति टन का न्यूनतन निर्यात मूल्य तय कर दिया है।
सरकार में एक उच्च पदस्थ सूत्र से इस बारे में रूरल वॉयस बात की तो उनका कहना था कि अगर सरकार चावल निर्यात पर अंकुश के कदम नहीं उठाती तो देश से 300 लाख टन तक चावल निर्यात हो सकता था। घरेलू बाजार में उपलब्धता बरकरार रखने और बढ़ती कीमतों को रोकने के लिए सरकार ने यह कदम उठाये हैं।