मोटा अनाजों के प्रति लोगों का रुझान बढ़ता जा रहा है। यही वजह है कि मोटा अनाज उत्पादों की बिक्री में 30 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। इससे मोटा अनाज उगाने वाले किसानों की आमदनी बढ़ रही है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है। देश के 2.5 करोड़ से ज्यादा छोटे किसान मोटा अनाजों की खेती से जुड़े हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को नई दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय वैश्विक मिलेट्स (श्री अन्न) सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए यह बात कही।
केंद्र सरकार ने मोटा अनाज को श्री अन्न का नाम दिया है। भारत की अगुवाई में वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। इसी कड़ी में इस सम्मेलन का आयोजन किया गया है। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि श्री अन्न (मोटा अनाज) समृद्धि व समग्र विकास का माध्यम बन रहा है। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को लाभ मिलेगा। यह केवल भोजन या खेती तक ही सीमित नहीं हैं। यह गांवों व गरीबों से जुड़ा हुआ है और छोटे किसानों के लिए समृद्धि का द्वार है। साथ ही करोड़ों भारतीयों के पोषण की आधारशिला व आदिवासी समुदाय का सम्मान है। उन्होंने कहा कि कम पानी में श्री अन्न की फसल की अधिक पैदावार प्राप्त की जा सकती है। यह रसायन मुक्त खेती की नींव के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन से निपटने में मददगार है।
मोटा अनाज को वैश्विक आंदोलन में बदलने के सरकार के लगातार प्रयासों के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि 2018 में मिलेट्स को पोषक-अनाज घोषित किया गया था। किसानों को इसके लाभों के बारे में जागरूक करने से लेकर इसमें रूचि पैदा करने तक सभी स्तरों पर काम किया गया। मोटे तौर पर देश के 12-13 राज्यों में श्री अन्न की खेती की जाती है। उन्होंने कहा कि प्रति व्यक्ति प्रति माह इसकी घरेलू खपत दो-तीन किलो थी जो बढ़कर अब 14 किलो प्रति माह हो गई है। मिलेट्स खाद्य उत्पादों की बिक्री में भी लगभग 30 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। एक जिला-एक उत्पाद योजना के तहत 19 जिलों में मिलेट्स को भी चुना गया है। श्री अन्न से संबंधित उद्यमों व खेती के लिए स्टार्टअप लाने की युवाओं की पहल की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि यह श्री अन्न के लिए भारत की प्रतिबद्धता का संकेत है। देश के लगभग 2.5 करोड़ छोटे किसान मिलेट्स उत्पादन में प्रत्यक्ष रूप से शामिल हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का मिलेट मिशन छोटे किसानों के लिए वरदान साबित होगा। श्री अन्न अब प्रसंस्कृत व पैकेज्ड खाद्य पदार्थों के माध्यम से बाजारों तक पहुंच रहा है। श्री अन्न बाजार को बढ़ावा मिलने से इन 2.5 करोड़ छोटे किसानों की आय बढ़ेगी जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। प्रधानमंत्री ने बताया कि श्री अन्न पर काम कर रहे 500 से अधिक स्टार्टअप सामने आए हैं। पिछले कुछ वर्षों में बड़ी संख्या में एफपीओ भी आगे आ रहे हैं। देश में एक पूरी आपूर्ति श्रृंखला विकसित की जा रही है। छोटे गांवों में स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं श्री अन्न के उत्पाद बना रही हैं जो मॉल और सुपरमार्केट में पहुंच रहे हैं।
इस मौके पर प्रधानमंत्री ने डाक टिकट व सिक्के का अनावरण और श्री अन्न स्टार्टअप व श्री अन्न मानकों के संग्रह को डिजिटल रूप से लांच किया। साथ ही भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) से संबंधित हैदराबाद स्थित भारतीय मिलेट्स अनुसंधान संस्थान (आईआईएमआर) को बजट में की गई घोषणा के मुताबिक उत्कृष्टता केंद्र घोषित किया।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र तोमर ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार की कोशिश रही है कि छोटे किसान, वर्षा आधारित खेती करने वाले किसानों की ताकत बढनी चाहिए। खाद्यान्न की प्रचुरता के बावजूद भोजन की थाली में पोषकता का अभाव है जिसे भरने की कोशिश करनी चाहिए। इसके लिए वर्ष 2018 में मिलेट्स को पोषक-अनाज के रूप में अधिसूचित किया गया ताकि भोजन की थाली में मोटे अनाज को प्रतिष्ठा मिले, छोटे किसान की ताकत बढ़े, इसकी खेती को प्रोत्साहित किया जा सके। तोमर ने कहा कि श्री अन्न पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण कृषि उत्पाद है। मिलेट्स का पौधा भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में योगदान देता है। इसकी खेती पर्यावरण को भी संरक्षित करती है।
इथियोपिया के राष्ट्रपति सहले-वर्क जेवडे ने इस आयोजन के लिए भारत सरकार को बधाई देते हुए कहा कि मिलेट्स एक सस्ता व पौष्टिक विकल्प प्रदान करता है। गुयाना के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद इरफान अली ने कहा कि भारत ने मिलेट्स को बढ़ावा देने में वैश्विक नेतृत्व ग्रहण किया है और ऐसा करने में यह बाकी दुनिया के उपयोग के लिए अपनी विशेषज्ञता दे रहा है। उन्होंने कहा कि गुयाना ने खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मिलेट्स को एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में मान्यता दी है।