अपने बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था, 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष घोषित किया गया है। इसलिए फसल की बेहतर कीमत दिलाने, घरेलू खपत बढ़ाने और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बाजरा उत्पादों की ब्रांडिंग में सरकार सहायता देगी। बाजरा के पौष्टिक गुणों और कठिन मौसम में भी इसके उगने की क्षमता को देखते हुए यह अच्छा कदम हो सकता है। वैसे हाल के वर्षों में मांग बढ़ने के कारण बाजरा के उत्पादन में तो वृद्धि हुई ही है, इसके निर्यात में भी इजाफा हुआ है।
रोम में खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) परिषद के 2018 में आयोजित 160वें सत्र में 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा-ज्वार वर्ष के रूप में मनाने के भारत के प्रस्ताव को स्वीकृति मिली थी। बाजरा को देश में विशिष्ट पहचान दिलाने के लिए पौष्टिक अनाज के रूप में अधिसूचित किया गया था। इसको राष्ट्रीय वर्ष के रूप में 2018 में मनाया गया था।
देश में 18 बीज उत्पादन केंद्र और 22 बीज हब स्थापित किए गए हैं। अन्य कदमों में क्लस्टर और प्रदर्शनों के माध्यम से सरकार द्वारा प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, मूल्य वर्धित उत्पादों के विकास के लिए तीन बाजरा उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना और पोषण मिशन में बाजरा शामिल करना शामिल हैं। कई बाजरा किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) भी स्थापित किए गए हैं। साथ ही भारतीय मिलेट अनुसंधान संस्थान (आईआईएमआर) ने खेत से थाली तक बाजरा पर एक संपूर्ण मूल्य श्रृंखला विकसित की है।
अंतरराष्ट्रीय मांग से बढ़ रहा है बाजरा का निर्यात
वर्ष 2017-18 में बाजरा का उत्पादन 164 लाख टन था जो बढ़कर वर्ष 2020-21 में 176 लाख टन हो गया। उत्पादकता में भी वृद्धि हुई है। यह 2017-18 में 1163 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी, जो वर्ष 2020-21 में बढ़कर 1239 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो गई। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के मुताबिक 2020-21 में भारत ने 2.69 करोड़ डॉलर का बाजरा निर्यात किया। एक साल पहले यह 2.47 करोड़ डॉलर था। भारत से बाजरा आयात करने वाले देशों में नेपाल, यूएई, सऊदी अरब, लीबिया, ट्यूनीशिया, मोरक्को, यूनाइटेड किंगडम, यमन, ओमान और अल्जीरिया शामिल हैं।
बाजरा देता है बेहतर पोषण
दुनियाभर में करीब 25 करोड़ टन बाजरा का उत्पादन होता है। यह चार हजार वर्षों से अफ्रीका और एशिया में मनुष्य के बुनियादी पोषक तत्वों में से एक रहा है। बाजरा व्यापक रूप से अफ्रीका के पूर्वी और दक्षिणी भागों में उगाया जाता है। यह क्षेत्र के स्थानीय ग्रामीणों के लिए भोजन का एक प्रमुख स्रोत है। सूखे और बाढ़ जैसी कठोर मौसम की स्थिति का सामना करने की क्षमता के कारण आसानी से हर क्षेत्र में इस फसल को उगा सकते हैं। यही कारण है कि इसे शुष्क भूमि में उगाया जाने वाला पौष्टिक अनाज भी कहा जाता है। ऐसे अनाज में ज्वार, मोती बाजरा, रागी, छोटा बाजरा, फॉक्सटेल बाजरा, प्रोसो बाजरा, बरनार्ड बाजरा, कोदो अनाज शामिल हैं।
बाजरा के सेवन से बीमारियों से बचने में मदद
पौष्टिक गुणों के मामले में चावल और गेहूं जैसे कुछ अत्यधिक खपत वाले अनाज से बाजरा बेहतर है। आज लोगों में मधुमेह, मोटापा और हृदय संबंधी समस्याएं जैसे दिल का दौरा, धमनी रोग सामान्य हो गया है। एक अनुमान के अनुसार दुनिया में डायबिटीज से साल 2003 में 19.4 करोड़ लोग पीड़ित थे, वहीं 2025 तक इनकी संख्या 33.3 करोड़ हो जाएगी। 2030 तक हृदय रोगियों की संख्या भी कर 2.36 करोड़ से अधिक हो जाएगी। बाजरा में पाये जाने वाले प्रोटीन और खनिज तत्व जैसे कैल्शियम और लोहा ऐसी बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं।
बाजरा में चावल की तुलना में अधिक प्रोटीन होता है। इसमें विटामिन ए और बी, आयरन, फास्फोरस, मैग्नीशियम और मैंगनीज भी प्रचुर होता है। दाल और सब्जियों के साथ मिलाने पर यह एक संपूर्ण भोजन बन जाता है। बाजरा के नियमित सेवन से हीमोग्लोबिन और सीरम फेरिटिन के स्तर में सुधार हो सकता है। यह आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया को कम कर सकता है, जो दुनिया भर में बढ़ रहा है।
बाजरा का ग्लोबल मार्केट 2025 तक 12 अरब डॉलर होने की संभावना
एपीडा के अनुसार बाजरा का ग्लोबल मार्केट इस समय 9 अरब डॉलर है जो 2025 में 12 अरब डॉलर होने की संभावना है। एशिया प्रशांत देशों की शहरी आबादी का झुकाव स्वस्थ भोजन की तरफ बढ़ रहा है। बाजरा में कैल्शियम, आयरन और फाइबर होते हैं, जो बच्चों के स्वस्थ विकास के लिए आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध कराते हैं। इसलिए शिशु आहार में भी बाजरा का उपयोग बढ़ रहा है। इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स के नवीनतम शोध के अनुसार, बाजरा बच्चों और किशोरों की वृद्धि को 26 से 39 फीसदी तक बढ़ा देते है।