हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में शनिवार और रविवार को मौसम ने एक बार फिर किसानों को नुकसान पहुंचाया है। कई जगहों पर ओलावृष्टि के साथ मूसलाधार बारिश हुई, जिससे खेतों में बर्फ की चादर सी बिछ गई। ओलावृष्टि से गेहूं और सरसों की फसलों को क्षति पहुंची है। किसानों के अनुसार कुछ इलाकों में तो फसल को 70 फीसदी तक नुकसान पहुंचा है। कांग्रेस ने सरकार से तुरन्त विशेष गिरदावरी करवाकर किसानों को मुआवज़ा देने की मांग की है।
हरियाणा में सरसों की फसल को ज्यादा नुकसान हुआ है जो पकने की अवस्था में पहुंच गई है। सरसों के पौधे ओलावृष्टि को नहीं झेल पाते हैं, इसलिए नुकसान ज्यादा हुआ है। तेज हवा के कारण पौधे जमीन पर गिर जाने से गेहूं की फसल को भी क्षति पहुंची है। किसानों का कहना है कि शनिवार-रविवार को जितनी ओलावृष्टि हुई, उतनी पिछले कई दशकों में नहीं हुई है। खेतों में ओला बिछ जाने से सरसों की कटी फसल को 70 प्रतिशत और खड़ी फसल को 50 प्रतिशत तक क्षति पहुंची है।
मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार राज्य के रोहतक में 47 मिमी, सोनीपत में 8.5 मिमी, हिसार में 26 मिमी और अंबाला में 24 मिमी बारिश हुई। इसके अलावा चरखी दादरी, जींद, करनाल, कुरुक्षेत्र, पानीपत, फतेहाबाद और भिवानी जिले में भी पश्चिमी विक्षोभ के कारण बारिश के साथ ओलावृष्टि हुई है। कल राज्य के उत्तरी इलाकों में भी बारिश की संभावना है। उसके बाद स्थिति सामान्य हो जाने की उम्मीद है।
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ समेत कई जिलों में भी यही स्थिति रही। वहां गेहूं के अलावा आलू और आम को भी नुकसान हुआ है। हालांकि यहां नुकसान उतना नहीं जितना हरियाणा में हुआ है। फिर भी अनेक गांवों में बारिश के साथ ओलावृष्टि होने से खेतों में खड़ी गेहूं, जौ एवं सरसों की फसल गिर पड़ी। सब्जी की फसल को भी काफी नुकसान पहुंचा है। कुछ इलाकों में 12 मिमी तक बारिश हुई है।
विशेष गिरदावरी करवाए सरकारः हुड्डा
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा ने कहा, बेमौसमी बारिश और ओलावृष्टि से प्रदेशभर में किसानों की सरसों और गेहूं की फसल बर्बाद हुई हैं। सरकार तुरन्त स्पेशल गिरदावरी करवाकर किसानों को मुआवज़ा दे। उन्होंने ट्वीट किया कि किसान पर दोहरी मार पड़ रही है। कई जगह बीमा कंपनियों की मनमानी है तो कई जगह मौसम की मार। पिछले कई सीजन से बीजेपी-जेजेपी सरकार किसानों को खराबे का कोई मुआवजा नहीं दे रही है। बाढ़ का सैकड़ों करोड़ मुआवजा ही अब तक पीड़ित किसानों को नहीं मिला। पीएम फसल बीमा योजना सिर्फ कंपनियों की तिजोरी भरने का जरिया बन गई है। क्योंकि किसानों के खाते से प्रीमियम काटने की तारीख तो निश्चित है, लेकिन किसानों को मुआवजा देने की कोई तारीख तय नहीं की गई है।