अडानी समूह के खिलाफ आरोपों की जेपीसी जांच की मांग को लेकर विपक्ष के हंगामे के बीच लोकसभा ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए प्रस्तावित लगभग 45 लाख करोड़ रुपये के बजट को बिना किसी चर्चा के मंजूरी दे दी है।
लोकसभा स्पीकर ने विपक्ष के कटौती प्रस्ताव या सरकारी व्यय योजना में संशोधन को वोट के लिए रखा जिसे ध्वनिमत से खारिज कर दिया गया। इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अनुदान मांगों और संबंधित विनियोग विधेयकों को चर्चा और मतदान के लिए पेश किया। स्पीकर ने मतदान के लिए सभी मंत्रालयों की अनुदान मांगों को रखा और मांगों को बिना किसी चर्चा के पारित कर दिया गया क्योंकि विपक्षी सांसद सदन के वेल में आकर नारेबाजी कर रहे थे। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी लोकसभा में मौजूद थे। 2023-24 के बजट को दो-तिहाई बहुमत से पास करने और पूरी प्रक्रिया में सिर्फ 12 मिनट लगे।
वित्त विधेयक 2023 में कई ऐसे नए टैक्स प्रस्ताव शामिल हैं जिसे वित्त मंत्री ने 1 फरवरी को बजट पेश करते समय प्रस्तावित किया था। वित्त विधेयक को 64 आधिकारिक संशोधनों के साथ पारित किया गया।
बजट से संबंधित सभी बिल राज्यसभा में भेजे जाते हैं। राज्यसभा इसमें कोई बदलाव नहीं कर सकती है। केवल चर्चा के बाद उन्हें लोकसभा को वापस कर देती है क्योंकि उन्हें 'मनी बिल' के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। इसके लिए केवल उच्च सदन की स्वीकृति की आवश्यकता होती है।
बजट प्रस्तावों के मुताबिक, 2023-24 में कुल व्यय 45,03,097 करोड़ रुपये अनुमानित है। इसमें से कुल पूंजीगत व्यय 10,00,961 करोड़ रुपये करने का प्रावधान किया गया है। 31 मार्च, 2023 को समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष के लिए कुल व्यय 41,87,232 करोड़ रुपये रखने का प्रावधान किया गया है। यह 2021-22 के खर्च से 3,93,431 करोड़ रुपये अधिक है।