पिछले दिनों उत्तर पश्चिम और मध्य भारत में जिस तरह से भारी बारिश हुई है उससे कई जगहों पर बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। बारिश से सबसे ज्यादा तबाही हिमाचल प्रदेश में हुई है। भारत मौसम विभाग (आईएमडी) के 10 जुलाई तक के आकंड़ों के मुताबिक दक्षिण पश्चिम मानसून की बारिश सामान्य से 2 फीसदी अधिक हुई है। इसके बावजूद देश का बड़ा इलाका ऐसा है जहां अभी भी सामान्य से कम बारिश हुई है, खासकर पूर्वी, उत्तर पूर्वी और दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत में मानसून की बारिश अभी भी कम हुई है।
आईएमडी के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, पूर्वी और उत्तर पूर्वी इलाकों में मानसून की बारिश सामान्य से 19 फीसदी कम हुई है। जबकि दक्षिण प्रायद्वीपीय इलाके में सामान्य से 23 फीसदी कम बारिश हुई है। पूर्वी और उत्तर पूर्वी इलाकों में झारखंड की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है जहां 10 जुलाई तक सामान्य से 41 फीसदी कम बारिश हुई है। जबकि बिहार में 31 फीसदी और दक्षिणी बंगाल में 36 फीसदी कम बारिश हुई है। नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में भी सामान्य से 31 फीसदी कम बारिश हुई है। अरुणाचल प्रदेश का हाल भी कुछ ऐसा ही है जहां सामान्य से 27 फीसदी कम बारिश रिकॉर्ड की गई है।
मध्य भारत में वैसे तो कुल बारिश सामान्य से 4 फीसदी अधिक हुई है लेकिन ओडिशा, मध्य महाराष्ट्र, मराठवाड़ा, विदर्भ और छत्तीसगढ़ में बारिश की स्थिति कमजोर बनी हुई है। ओडिशा में जहां 27 फीसदी कम बारिश हुई है, वहीं मध्य महाराष्ट्र में 29 फीसदी, मराठवाड़ा में 38 फीसदी और विदर्भ में 32 फीसदी कम बारिश हुई है। जबकि छत्तीसगढ़ में अब तक सामान्य से 16 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है।
आईएमडी के मुताबिक, दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत में मानसून की कुल बारिश सामान्य से 23 फीसदी कम बनी हुई है। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप और तमिलनाडु को छोड़कर बाकी जगहों पर सामान्य से कम बारिश हुई है। उत्तरी कर्नाटक के अंदरूनी इलाकों और तेलंगाना में सामान्य से 36 फीसदी कम बारिश हुई है। जबकि दक्षिण कर्नाटक में 33 फीसदी, केरल में 29 फीसदी और तटीय आंध्र प्रदेश में सामान्य से 20 फीसदी कम बारिश हुई है। तटीय कर्नाटक में 11 फीसदी और रायलसीमा इलाके में 26 फीसदी कम बारिश हुई है।