इस साल खरीफ फसलों की बुवाई में पिछले साल की तुलना में 1.93 फीसदी (लगभग 2 फीसदी) की वृद्धि दर्ज की गई है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अनुसार, 27 अगस्त 2024 तक खरीफ फसलों का कुल बुवाई क्षेत्र 1065.08 लाख हेक्टेयर हो गया है, जबकि वर्ष 2023 में इस समय तक यह क्षेत्र 1044.85 लाख हेक्टेयर था। इस वर्ष विशेष रूप से धान, दलहन और मोटे अनाज की बुवाई में वृद्धि देखी गई है।
दलहन की बुवाई 5.72 फीसदी बढ़ी
कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार, दलहन की बुवाई में सबसे ज्यादा वृद्धि हुई है। दलहन की बुवाई का क्षेत्र 5.72 फीसदी बढ़कर 122.16 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो वर्ष 2023 में 115.55 लाख हेक्टेयर था। दालों में अरहर और मूंग की बुवाई में सबसे अधिक वृद्धि हुई है, जबकि उड़द की बुवाई पिछली साल की तुलना में पिछड़ी है। अरहर की बुवाई 45.78 लाख हेक्टेयर और मूंग की बुवाई 34.07 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। वहीं, उड़द की बुवाई 29.04 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले साल के 30.81 लाख हेक्टेयर से कम है।
धान की बुवाई में 4.24 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है। अब तक 394.28 लाख हेक्टेयर में धान की बुवाई हो चुकी है, जो वर्ष 2023 में इस समय तक 369.05 लाख हेक्टेयर थी।
मोटे अनाज की बुवाई 4.51 फीसदी बढ़ी
मोटे अनाज की बुवाई 4.51 फीसदी बढ़कर 185.51 लाख हेक्टेयर हो गई है, जबकि वर्ष 2023 में यह क्षेत्र 177.50 लाख हेक्टेयर था। इसमें मक्का की बुवाई 87.23 लाख हेक्टेयर, ज्वार की 14.93 लाख हेक्टेयर, बाजरा की 68.85 लाख हेक्टेयर और रागी की 9.17 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। मोटे अनाज में सिर्फ बाजरा की बुवाई पिछड़ी है, जो पिछले साल से कम है।
तिलहन और अन्य फसलों की स्थिति
तिलहन की बुवाई में भी 0.83 फीसदी की मामूली वृद्धि हुई है। इसमें मूंगफली की बुवाई 46.82 लाख हेक्टेयर, सोयाबीन की बुवाई 125.11 लाख हेक्टेयर, सुजरमुखी की बुवाई 0.71 लाख हेक्टेयर और तील की बुवाई 10.67 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है।
गन्ने का रकबे हल्की बढ़त के साथ उसका बुआई कुल क्षेत्रफल 57.68 लाख हेक्टेयर हो गया है। वहीं, कपास की बुवाई में 11.36 फीसदी की गिरावट आई है, जिससे यह क्षेत्र 2023 के 111.39 लाख हेक्टेयर से घटकर 2024 में 122.74 लाख हेक्टेयर रह गया है। जूट और मेस्टा की बुवाई भी 5.70 लाख हेक्टेयर तक सिमट गई है, जो पिछले साल की तुलना में कम है।
कुल मिलाकर, इस साल खरीफ फसलों की बुवाई में धान, दलहन और मोटे अनाज में बढ़त के साथ अच्छी प्रगति हुई है, लेकिन कुछ फसलों में गिरावट भी दर्ज की गई है।