एक सप्ताह के अंतराल के बाद सरकार ने आखिरकार चालू खरीफ सीजन में चावल के बुआई रकबे के आंकड़े जारी कर दिये हैं। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा 29 जुलाई की शाम को जारी आंकड़ों के मुताबिक चालू खरीफ सीजन में चावल का क्षेत्रफल पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 35.46 लाख हैक्टेयर कम बना हुआ है। क्षेत्रफल में कमी वाले राज्यों में उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, उड़ीसा और तेलंगाना शामिल है। उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में बारिश का स्तर सामान्य से 40 से 50 फीसदी तक कम बना हुआ है। जुलाई माह के लगभग समाप्त होने तक क्षेत्रफल में यह गिरावट चावल उत्पादन में गिरावट का कारण बनेगी यह बात अब लगभग तय होती जा रही है। अगर क्षेत्रफल में सुधार होता भी है और अगले कुछ दिनों में यह पिछले साल के बराबर हो भी जाता है तो भी उत्पादकता में कमी उत्पादन में गिरावट का कारक बन सकती है क्योंकि धान की समय पर रोपाई नहीं होने का मतलब है प्रति हैक्टेयर उत्पादकता का गिरना।
सरकार ने पिछले सप्ताह 22 जुलाई को आधिकारिक रूप से खरीफ सीजन में चावल के क्षेत्रफल के प्रोग्रेसिव आंकड़े जारी नहीं किये थे। हालांकि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन की वेबसाइट पर दालों और तिहलन के आंकड़े उपलब्ध थे। इसके चलते चावल के मामले में हर स्तर पर 15 जुलाई , 2022 के आंकड़ों को ही आधार माना जा रहा था। उम्मीद है भारतीय रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी अब महंगाई के आकलन लिए ताजा आंकड़ों पर गौर कर सकेगी।
कृषि मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक 29 जुलाई तक देश में चावल का कुल क्षेत्रफल 231.59 लाख हैक्टेयर तक पहुंचा है। जो पिछले साल इसी समय तक 267.05 लाख हैक्टेयर था। यानी इस साल चावल का रकबा पिछले साल के मुकाबले 35.46 लाख हैक्टेयर कम बना हुआ है।
चालू खरीफ सीजन की फसलों का कुल रकबा 29 जुलाई को पिछले साल के मुकाबले 18.26 लाख हैक्टेयर कम बना हुआ है। यह अभी तक 823.40 लाख हैक्टेयर पर पहुंचा है जो पिछले साल इसी अवधि में 841.66 लाख हैक्टेयर रहा था।
चावल के रकबे में 10.62 लाख हैक्टेयर की गिरावट के साथ पश्चिम बंगाल सबसे ऊपर है। जबकि उत्तर प्रदेश में चावल का रकबा पिछले साल के मुकाबले 6.68 लाख हैक्टेयर कम बना हआ है। बिहार में 5.61 लाख हैक्येटर कम है , झारखंड में 4.72 लाख हैक्टेयर कम है जबकि छत्तीसगढ़ में 2.73 लाख हैक्टेयर कम है और तेलंगाना में 4.06 लाख हैक्टेयर कम है। वहीं उड़ीसा में चावल का क्षेत्रफल पिछले साल से 2.60 लाख हैक्टेयर कम है। इनके अलावा 10 अन्य राज्यों में यह पिछले साल से कम है लेकिन यह कमी बहुत अधिक नहीं है।
हालांकि दालों का कुल रकबा पिछले साल से अधिक है। यह 106.18 लाख हैक्टेयर है और पिछले साल के इसी अवधि के 103.23 लाख हैक्टेयर के मुकाबले 2.95 लाख हैक्टेयर अधिक है। लेकिन दालों में अरहर का रकबा 5.64 लाख हैक्टेयर कम है। यह अभी तक 36.11 लाख हैक्टेयर पर पहुंचा है जो पिछले साल इसी समय तक 41.75 लाख हैक्टेयर पर था। उड़द दाल का रकबा 28.01 लाख हैक्टेयर पर जो पिछले साल के इसी अवधि के क्षेत्रफल 27.94 लाख हैक्टेयर के काफी करीब है। मूंग का रकबा पिछले साल के मुकाबले 3.96 लाख हैक्टेयर अधिक है। यह 29.26 लाख हैक्टेयर है जो पिछले साल इसी समय तक 25.29 लाख हैक्टेयर रहा था। अन्य दालों का रकबा पिछले साल से 4.63 लाख हैक्टेयर अधिक है। दालों में सबसे अधिक बढ़ोतरी राजस्थान में मूंग का रकबा करीब 10 लाख हैक्टेयर बढ़ने की वजह से अधिक है। जबकि महाराष्ट्र, कर्नाटक में दाल का रकबा पिछले साल से कम है। खरीफ तिलहनों का रकबा 164.34 लाख हैक्टेयर है जो पिछले से इसी समय के रकबे 163.03 लाख हैक्टेयर से 1.31 लाख हैक्टेयर अधिक है। मूंगफली का रकबा 37.41 लाख हैक्टेयर के साथ पिछले साल से 3.92 लाख हैक्टेयर कम है। जबकि सोयाबीन, सुरजमुखी, तिल और कैस्टर का रकबा पिछले से अधिक है।