सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह की चार सहकारी समितियों के करोड़ों निवेशकों को 5,000 करोड़ रुपये लौटाने का केंद्रीय रजिस्ट्रार को आदेश दिया है। यह राशि सहारा-सेबी रिफंड खाते से लौटाई जाएगी जिसमें 24,000 करोड़ रुपये से ज्यादा जमा हैं। केंद्र सरकार ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी जिस पर यह आदेश दिया गया है। इस आदेश पर नौ महीने के भीतर निवेशकों को पैसे वापस कर दिए जाएंगे।
केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सहारा समूह की 4 सहकारी समितियों के निवेशकों की जमा राशि सहारा-सेबी रिफंड खाते से लौटाने का आदेश दिया है। यह भुगतान सहारा समूह के वैध निवेशकों को उनके बैंक खातों में उनकी उचित पहचान और जमा के प्रमाण की पुष्टि हो जाने पर एक पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा।
सहकारिता मंत्रालय ने सहारा-सेबी एस्क्रो खाते से पैसा ट्रांसफर करने के लिए एक याचिका डाली थी। अगस्त 2012 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सहारा की दो कंपनियों सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड (SIRECL) और सहारा हाउसिंग इंडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड (SHICL) के निवेशकों को पैसा वापस करने का निर्देश देने के बाद यह एस्क्रो अकाउंट खोला गया था। इस खाते में सहारा समूह ने करीब 10 करोड़ निवेशकों के 24,979.67 करोड़ रुपये जमा करा रखे हैं। समूह की चार सहकारी समितियों- सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड, सहारायन यूनिवर्सल मल्टीपर्पस सोसायटी लिमिटेड, हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड और स्टार्स मल्टीपर्पस कोऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड के निवेशकों को इसमें 5,000 करोड़ रुपये लौटाए जाएंगे। बयान में कहा गया है कि इन सहकारी समितियों के जमाकर्ताओं को जमाराशि का भुगतान न होने के संबंध में देशभर से भारी संख्या में शिकायतें प्राप्त हो रही थीं। शिकायतों पर संज्ञान लेते हुए समितियों को नोटिस जारी किए गए और केंद्रीय रजिस्ट्रार के समक्ष सुनवाई की गई।
बयान के मुताबिक, रजिस्ट्रार ने इन सहकारी समितियों को निवेशकों को भुगतान करने के निर्देश दिए और उन्हें नई जमाराशि लेने और मौजूदा जमाराशि का नवीनीकरण करने पर रोक लगा दी। सहकारिता मंत्रालय ने जमाकर्ताओं से प्राप्त लगभग 1.22 लाख दावों को डिजिटाइज्ड किया और इन समितियों को भुगतान के लिए भी भेजा लेकिन इनके द्वारा अपेक्षित कार्यवाही नहीं की गई। मंत्रालय ने इस मामले को प्राथमिकता पर लेते हुए केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के निर्देशानुसार आर्थिक कार्य विभाग, राजस्व विभाग, सेबी, एसएफआईओ और ईडी आदि के साथ कई बैठकें कीं। इसके बाद इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय में स्थिति रिपोर्ट और मामले के हल के लिए याचिका दायर की और अनुरोध किया कि सहारा-सेबी रिफंड अकाउंट में से 5,000 करोड़ रुपये का इस्तेमाल चारों सहकारी समितियों के जमाकर्ताओं को भुगतान के लिए किया जा सकता है।
इसी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया कि सहारा-सेबी रिफंड अकाउंट में से 5,000 करोड़ रुपये केंद्रीय रजिस्ट्रार को हस्तांतरित किए जाएंगे ताकि निवेशकों को भुगतान किया जा सके। केंद्रीय रजिस्ट्रार उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त किए गए पूर्व न्यायाधीश आर. सुभाष रेड्डी के पर्यवेक्षण व निगरानी में तथा वकील गौरव अग्रवाल की सहायता से भुगतान की प्रक्रिया को 9 महीनों में पूरा करेंगे। मंत्रालय जल्दी ही सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार पूर्व न्यायाधीश आर. सुभाष रेड्डी के पर्यवेक्षण में उचित पारदर्शी तंत्र के माध्यम से वैध निवेशकों के भुगतान की प्रक्रिया शुरू करेगा। इससे करोड़ों निवेशकों व उनके परिवारों को राहत मिलेगी।