क्लेम देने में देरी हुई तो बीमा कंपनी 12 फीसदी पेनल्टी देगी: शिवराज सिंह चौहान

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि अगर बीमा कंपनियां किसानों को क्लेम में देरी करती हैं तो उन पर 12 पेनल्टी लगेगी, जो सीधे किसान को मिलेगी

अगर बीमा कंपनियां किसानों को क्लेम भुगतान में देरी करती हैं, तो उन पर 12 फीसदी पेनल्टी लगेगी, जो सीधे किसान के खाते में जाएगी। यह बात मंगलवार को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य सभा में कही। वह प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से संबंधित सवालों का जवाब दे रहे थे।

केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि कई बार क्लेम भुगतान में देरी होती है, जिसका मुख्य कारण राज्यों द्वारा प्रीमियम सब्सिडी देरी से जारी करना होता है। उन्होंने राज्य सरकारों से कहा कि वे अपने हिस्से की राशि समय पर जारी करें। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों के शेयर से खुद को डी-लिंक कर दिया है, जिससे केंद्र अपनी राशि तत्काल जारी कर सके। इससे किसानों को भुगतान में देरी नहीं होगी और उन्हें केंद्र की राशि समय पर मिलेगी। उन्होंने कहा कि अब नुकसान का आकलन नजरी के बजाय रिमोट सेंसिंग के माध्यम से कम से कम 30 प्रतिशत करना अनिवार्य कर दिया गया है।

पीएम फसल बीमा योजना में किया गया सुधार

चौहान ने कहा कि पूर्ववर्ती फसल बीमा योजनाओं में प्रीमियम की अधिकता और दावों के निपटान में विलंब जैसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था। लेकिन नई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में कई सुधार किए गए हैं। उन्होंने कहा कि पहले केवल 3.51 करोड़ आवेदन आते थे, लेकिन अब 8.69 करोड़ आवेदन आए हैं। जब कांग्रेस की सरकार थी, तब अऋणी किसानों के केवल 20 लाख आवेदन आते थे, अब 5.48 करोड़ आए हैं। कांग्रेस सरकार में कुल किसान आवेदन 3.71 करोड़ थे, जो अब 14.17 करोड़ हैं। उन्होंने कहा कि किसानों ने 32,440 करोड़ रुपये प्रीमियम दिया, जबकि उन्हें 1.64 लाख करोड़ रु. क्लेम दिया गया। 

योजना में 3.97 करोड़ किसान हुए कवर

कृषि मंत्री ने कहा कि पुरानी फसल बीमा योजना में बीमा आवश्यक रूप से किया जाता था और बीमे की प्रीमियम की राशि बैंक अपने-आप काट लेते थे। मौजूदा सरकार ने इस विसंगति को दूर किया है। अब किसान की मर्जी है तो वह बीमा कराएं और मर्जी नहीं है तो ना कराएं। उन्होंने कहा कि पहले अऋणी किसान बीमा नहीं करवाता था, लेकिन अब वो भी चाहे तो बीमा करवा सकता है। 2023 में . बीमा कवर बढ़कर 5.98 लाख हेक्टेयर हो गया है। वहीं 3.97 करोड़ किसान कवर हुए हैं।  

पीएम फसल बीमा योजना के तीन मॉडल

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तीन अलग-अलग मॉडल हैं। उस मॉडल में केंद्र सरकार केवल पॉलिसी बनाती है। राज्य सरकार जिस मॉडल को चुनना चाहे, उस मॉडल को चुनती है। ये फसल बीमा योजना हर राज्य के लिए आवश्यक नहीं है, जो राज्य इस योजना को अपनाना चाहे अपनाएं और जो राज्य नहीं अपनाना चाहे, नहीं अपनाएं। उन्होंने कहा कि बिहार में अभी तक प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लागू नहीं किया गया है। बिहार की अपनी एक योजना है, वह उस योजना के हिसाब से अपने किसान को लाभान्वित करते हैं।