केंद्र सरकार ने न्यूट्रिएंट आधारित सब्सिडी स्कीम (एनबीएस) के तहत आने वाले विनियंत्रित उर्वरकों जैसे डाई अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी), म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) के लिए फर्टिलाइजर कंपनियों के उचित मुनाफे (रीजनेबल प्रॉफिट) की सीमा तय कर दी है। इस कदम को विनियंत्रित उर्वरकों को यूरिया की तरह कीमतों की नियंत्रित व्यवस्था के तहत लाने के रूप में देखा जा रहा है।
सरकार नाइट्रोजन (एन), फॉस्फोरस (पी), पोटाश (के) और सल्फर (एस) पर प्रतिकिलो की दर से एनबीएस के तहत सब्सिडी देती है। तकनीकी रूप से इन उर्वरकों की कीमतें तय करने का अधिकार उर्वरक कंपनियों को है। लेकिन जिस तरह सरकार ने उर्वरकों की बिक्री पर रीजनेबल प्रॉफिट के प्रावधान लागू करने का फैसला किया है, उसे इन उर्वरकों की कीमतों को परोक्ष रूप से नियंत्रण के दायरे में लाने की कोशिश के रूप में देखा जा सकता है।
इस संबंध में उर्वरक विभाग द्वारा 18 जनवरी, 2024 को एक ऑफिस मेमोरेंडम के जरिये विस्तृत गाइडलाइंस जारी की गई हैं। गाइडलाइंस के मुताबिक, फर्टिलाइजर आयातकों को अधिकतम आठ फीसदी, मैन्यूफैक्चरर्स को 10 फीसदी और इंटीग्रेटेड मैन्यूफैक्चरर्स को 12 फीसदी मुनाफे की सीमा तय की गई है। गैर-यूरिया उर्वरकों का उत्पादन करने वाली फर्टिलाइजर कंपनियों को इस मुनाफा सीमा के आधार पर ही उर्वरकों के अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) तय करने होंगे।
गाइडलाइंस में कहा गया है कि कंपनियों द्वारा कमाए गये अनुचित मुनाफे (अनरीजनेबल प्रॉफिट) को अगले वर्ष में 10 अक्तूबर तक उर्वरक विभाग को लौटाना होगा। निर्धारित समय-सीमा तक अनुचित मुनाफा नहीं लौटाने की स्थिति में 12 फीसदी की दर से ब्याज देना पड़ेगा। यह ब्याज अगले वित्त वर्ष में 1 अप्रैल से लागू होगा। मसलन वित्त वर्ष 2023-24 के लिए ब्याज की वसूली 1 अप्रैल, 2024 से लागू होगी।
फर्टिलाइजर कंपनियों के अनुचित मुनाफे को सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी के साथ भी एडजस्ट किया जा सकेगा। इसके साथ ही कंपनियों को डीएपी और एमओपी के अधिकतम खुदरा मूल्य पर दो फीसदी डीलर मार्जिन कटौती दी जाएगी। जबकि एनबीएस के तहत आने वाले बाकी उर्वरकों के लिए चार फीसदी डीलर मार्जिन की अनुमति होगी।
गाइडलाइंस में कहा गया है कि कंपनियां अपने मुनाफे का आकलन कॉस्ट ऑडिटर रिपोर्ट और कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर द्वारा मंजूर कॉस्ट डाटा के आधार पर कर सकती हैं। कंपनी की रिपोर्ट और डाटा अगले वित्त वर्ष में 10 अक्तूबर तक उर्वरक विभाग को देने होंगे। इसके बाद उर्वरक विभाग एमआरपी के तर्कसंगत स्तर की समीक्षा करेगा और 28 फरवरी तक पिछले वित्त वर्ष के लिए अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप देगा। इसके आधार पर तय होगा कि अनुचित मुनाफा कमाया गया है या नहीं। अगर कमाया गया है तो वह कपंनी से रिकवर किया जाएगा। इस आधार पर 2023-24 वित्त वर्ष के लिए रिपोर्ट 28 फरवरी, 2025 तक पूरी होगी।
उर्वरक उद्योग के सूत्रों के मुताबिक, सरकार विनियंत्रित उर्वरकों को परोक्ष रूप से नियंत्रण के दायरे में लाने का प्रयास कर रही है। पहले ही अनौपचारिक निर्देश के तहत डीएपी के लिए 27 हजार रुपये प्रति टन, एमओपी के लिए 33100 रुपये प्रति टन, 12:32:16 व 10:26:26 एनपीके के लिए 29400 रुपये प्रति टन का एमआरपी तय है। जबकि आधिकारिक रूप से विनियंत्रित उर्वरकों के दाम तय करने का अधिकार उर्वरक कंपनियों के पास है।